लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अयोध्या पहुंचे और भगवान राम की 7 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. ये श्रीराम प्रतिमा लकड़ी की बनी है और इसे कर्नाटक शैली में बनाया गया है. इस प्रतिमा में राम अपने उसे धनुष के साथ दिख रहे हैं जिससे उन्होंने रावण का वध किया था. ये मूर्ति अभी तक बंगलुरु के म्यूजियम में रखी थी. वहां से इसे खरीद कर अयोध्या लाया गया है जहां के म्यूज़ियम में इसे रखा जाएगा.


मूर्ति के अनावरण के बाद योगी ने कहा कि संविधान की पुस्तिका में भगवान राम का चित्र है, भगवान कृष्ण की तस्वीर मूल पुस्तिका में है लेकिन 1947 के बाद बनी सरकारों को क्या राम से दिक्कत थी जो उन्होंने राम के लिए कुछ नहीं किया.


योगी ने कहा कि भगवान राम के नाम का रामायण सर्किट हो या दिवाली के मौके पर दीपोत्सव का आयोजन एक सोच का परिचायक है. आज देश बुलंदियों को इसलिए छू रहा है क्योंकि हमने अपने मूल्यों को तवज्जो दी है. अयोध्या की पहचान भगवान राम से है इसलिए हमने अपनी सरकार आने पर नगर निगम बनाने के साथ जनपद और भी अयोध्या करने का काम किया, कमिश्नरी भी अयोध्या होगी.



योगी ने कहा कि अयोध्या शोध संस्थान में रामायण का मंचन बन्द करवा दिया गया था, जिसको हमने शुरू करने का काम किया, दुनिया भर की रामलीलाओं को अयोध्या बुलाने का काम हमने 2 सालों से किया है, हमने अयोध्या की पहचान दुनिया के दिलाने का काम किया है.


योगी ने कहा कि अयोध्या में सरयू नदी का पानी पीने योग्य हो, यहां का समग्र विकास हो इसके लिए हमारी सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा 'राम काज कीजे बिना, मोहे कहाँ बिश्राम' हमारी वृति राम की वृत्ति की तरह सकारात्मक वृति होना चाहिए, सबके मंगल की भावना जिसमे निहित होता हो, यही भारत का वास्तविक संदेश है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि देश ने मोदी सरकार को दोबारा मौका दिया है, इसके लिए मैं संतों को आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद देता हूं. इस साल 2 बड़ी घटनाएं घटित हुईं. पहली कुम्भ और दूसरा मोदी जी की प्रचंड जीत. योग को वैश्विक मान्यता दिलाने का काम मोदी जी ने किया तो वहीं कुम्भ को 193 देशों के लोगों की सहभागिता वाला अवसर बनाने का मौका भी इस साल मिला है.


योगी ने कहा कि पहली बार कुम्भ में गंगा स्नान करने के लिए देश के प्रधानमंत्री वहां पहुंचे. स्वच्छ, सुरक्षित, भव्य, दिव्य कुम्भ का आयोजन कुम्भ को नई ऊंचाई तक ले गया. साथ ही पीएम ने जैसे सफाईकर्मी के पांव धुले, उससे राजा और रंक का भाव, छुआछूत का भाव मिट गया. ये वैसा ही था तब भगवान राम ने सबरी के बेर चखे, वैसा ही था जैसे भगवान कृष्ण ने सुदामा से मुलाक़ात की. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को लेकर आगे चला, उसी को जनता ने प्रचंड बहुमत दिया. इस बार जनता ने सकारात्मक सोच वाले को, देश के बारे में सोचने वाले को फिर से चुनने का काम किया है.