सुबह करीब 6 बजे ये घटना हुई जिसने पुलिस प्रशासन के होश उड़ा दिए. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जेल के भीतर हथियार कहां से आया? जब दोनों के बीच कोई दुश्मनी का रिकॉर्ड नहीं है तो फिर क्यों राठी ने बजरंगी को मार दिया?
पुलिस इन सभी सवालों का जवाब तलाश कर रही है. बताया जा रहा है कि हत्या के बाद राठी ने हथियार गटर में फेंक दिया. पुलिस को अभी तक हथियार नहीं मिला है. जिस जगह ये घटना हुई है वहां कोई सीसीटीवी भी नहीं लगा था.
जांच के आदेश
जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं और तत्काल प्रभाव से बागपत जेल के जेलर को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा," जेल परिसर के अंदर ऐसे प्रकरण का होना अत्यंत गंभीर मामला है. इस मामले में जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
बागपत जेल में डॉन की हत्या
आज सुबह पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मार कर हत्या कर दी गई. बीएसपी के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में उसकी आज ही बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी और इसी के लिए उसे झांसी से बागपत लाया गया था.
मुन्ना की हत्या के लिए बागपत जेल आया था सुनील राठी ?
कुख्यात सुनील राठी और विक्की सुनहेड़ा के साथ उसे तन्हाई बैरक में रखा गया था. सुनील पहले रुड़की जेल में बंद था और वहां उसने अपनी जान का खतरा बताया था. उसने कोर्ट से बागपत जेल शिफ्ट करने की गुहार लगाई थी जिसके बाद उसे 31 जुलाई 2017 को बागपत जेल शिफ्ट कर दिया गया था.
कौन है सुनील राठी
सुनील राठी उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराध जगत का बड़ा नाम है. अपने पिता की हत्या के बाद उसने चार हत्याएं की थीं. उसकी मां पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर छपरौली विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुकी हैं.
पत्नी ने जताई थी आशंका
मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीएम से गुहार लगाई थी. सीमा ने दावा किया था कि एसटीएफ मुन्ना बजरंगी को मुठभेड़ में ढेर करने की फिराक में है. 29 जून को उसने कहा था कि कुछ लोग मुन्ना की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे हैं.
सीमा ने कहा कि जेल में ही उसके पति के खाने में जहर देने की कोशिश की गई थी. सीसीटीवी फुटेज में भी इसकी रिकॉर्डिग है, जिसमें एक एसटीएफ अधिकारी जेल में ही बजरंगी को मारने की बात कह रहे हैं. इसकी शिकायत कई अधिकारियों और न्यायालय से की, लेकिन कहीं से भी सुरक्षा नहीं मिली.
कौन है मुन्ना बजरंगी
1982 से शुरू हुआ मुन्ना बजरंगी का अपराधिक सफर आज खत्म हो गया. जौनपुर के रहने वाले मुन्ना बजरंगी का नेटवर्क देश भर में फैला हुआ था. एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मुन्ना बच गया. 2005 में उसने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी थी.
राय की हत्या के बाद वो दहशत का दूसरा नाम बन गया. आरोप है कि अपने नाम के खौफ का इस्तेमाल करते हुए मुन्ना ने करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूली. 2012 में मड़ियाहू विधानसभा से वह चुनाव भी लड़ा लेकिन उसे करारी शिकस्त मिली.