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यूपी: कांग्रेस के हाथ से अमेठी गई और अमेठी के राजा भी

नेहरू-गांधी परिवार के बेहद करीबी और कांग्रेस के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमेठी के राजा संजय सिंह अब बीजेपी का दामन थामने वाले हैं. कांग्रेस ने असम से राज्यसभा भेजा था और अगले साल सदस्यता ख़त्म होने वाली थी.

लखनऊ: कांग्रेस के सांसद संजय सिंह फिर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. अमेठी के राजा संजय सिंह गांधी नेहरू परिवार के बेहद क़रीबी माने जाते रहे हैं. एक दौर में वे संजय गांधी के सहयोगी हुआ करते थे. उनके निधन के बाद वे राजीव गांधी के क़रीबी हो गए. संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह अमेठी से बीजेपी की विधायक हैं. उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह भी बीजेपी में शामिल होंगी. संजय सिंह के परिवार में कई सालों से घमासान मचा है. उनकी दोनों पत्नियों में आर पार की लड़ाई ठनी हुई है. लेकिन अब पूरा घर भगवामय होने वाला है.

संजय सिंह राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं. वे जानते हैं कब और कैसे पलटी मारनी है. हाल में ही वे सुल्तानपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े. लेकिन ज़मानत ज़ब्त हो गई. उनका पत्नी अमिता सिंह ने दो साल पहले विधानसभा चुनाव लड़ा था. उनकी भी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी. यूपी में कांग्रेस की हालत बड़ी दयनीय है. इस बार तो राहुल गांधी भी अमेठी की सीट नहीं बचा पाए. कांग्रेस के पास संजय सिंह को देने के लिए कुछ नहीं बचा है. इसीलिए मौका देख कर अमेठी के राजा ने अपनी पुरानी पार्टी को बॉय बॉय कर दिया. बीजेपी से संजय गांधी की बातचीत महीने भर से चल रही थी. लेकिन डील पिछले हफ़्ते ही फ़ाइनल हुई. बीजेपी के एक लोकसभा सांसद का इसमें बड़ा रोल रहा. इसी सांसद ने समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर की भी एंट्री करवाई थी. संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह से उनकी अच्छी दोस्ती है. अंदर की ख़बर है कि विपक्षी पार्टियों के कुछ और भी राज्य सभा सांसद बीजेपी के इस एमपी के संपर्क में हैं. बात साल 2014 की है. देश में आम चुनाव हो रहे थे. संजय सिंह कांग्रेस पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. ऐसी चर्चा थी कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. उन्हें पार्टी छोड़ने से रोकने के लिए राज्य सभा भेजने का फ़ैसला हुआ. सोनिया गांधी ने उन्हें असम से सांसद बनवा दिया. राज्य सभा में उनका कार्यकाल अगले साल ख़त्म रो रहा है. उससे पहले ही संजय सिंह ने पाला बदल लिया. वैसे संजय सिंह के लिए पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है. वे इससे पहले भी बीजेपी के सांसद रह चुके हैं. वे वीपी सिंह के जन मोर्चा में रहे. चंद्रशेखर की पार्टी में रह कर वे केन्द्रीय मंत्री बने. संजय सिंह के पिता राजा रणंजय सिंह मोतीलाल नेहरू के दोस्त थे. वे अमेठी से कांग्रेस के सांसद रहे, विधायक रहे और एमएलसी भी. पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक उनका बड़ा सम्मान करते थे. इमरजेंसी के दौरान संजय सिंह की राजनीति में एंट्री हुई. संजय गांधी ने अमेठी में महीने भर का श्रम दान शिविर लगाया था. संजय सिंह को इसकी ज़िम्मेदारी दी गई. बाद में वे यूपी में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बना दिए गए. संजय सिंह की गिनती संजय गांधी के क़रीबी दोस्तों में होती थी.

संजय गांधी के निधन के बाद वे इनकी पत्नी मेनका गांधी के साथ नहीं गए. उन्होंने राजीव गांधी का दामन थाम लिया. वे अमेठी से कांग्रेस के विधायक बन कर यूपी सरकार में राज्य मंत्री बने. तब श्रीपति मिश्र राज्य के मुख्य मंत्री थे. 1985 में वे फिर एमएलए बने. वीर बहादुर सिंह की सरकार में संजय सिंह ताक़तवर मंत्री हुआ करते थे. वे खुद सीएम बनना चाहते थे. इसीलिए वीर बहादुर से उनकी कभी नहीं बनी. इस टकराव के कारण संजय सिंह कांग्रेस छोड़ कर वी पी सिंह के जन मोर्चा में शामिल हो गए. उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह पूर्व पीएम वी पी सिंह की भतीजी हैं. जनता दल से वे राज्य सभा के सांसद बने. फिर चंद्रशेखर की सरकार में वे केन्द्रीय संचार मंत्री बने. 1989 मे कांग्रेस के राजीव गांधी के ख़िलाफ़ राजमोहन गांधी चुनाव लड़े. संजय सिंह ने महात्मा गांधी के पोते राजमोहन का साथ दिया. उस साल लोकसभा के साथ साथ विधानसभा के चुनाव भी हुए. संजय सिंह अमेठी से विधानसभा का चुनाव लड रहे थे. मतदान के दिन उन्हें गोली लग गई. लंदन में उनका इलाज हुआ.

चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद संजय सिंह बीजेपी में आ गए. 1998 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराया. 1999 में सोनिया गांधी यहां से लोकसभा चुनाव लड़ीं. बीजेपी के टिकट पर संजय चुनाव हार गए. उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह विधायक बन कर राज्य की बीजेपी सरकार में मंत्री बनीं. 2003 में पति और पत्नी की घरवापसी हो गई. दोनों बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में आ गए. 2004 में संजय सिंह को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट नहीं दिया. पांच साल बाद चुनाव जीत कर वे सुल्तानपुर से लोकसभा का सांसद बने. बैंडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या को लेकर संजय सिंह विवादों में रहे. 1998 में लखनऊ में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. अमिता सिंह तब मोदी की पत्नी हुआ करती थीं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. मोदी हत्या कांड की जांच सीबीआई ने की. लेकिन संजय सिंह और अमिता कोर्ट से बरी हो गए. मोदी के मर्डर में दोनों को आरोपी बनाया गया था. चुनाव में ये मुद्दा उठता रहता है.

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