प्रयागराज: अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में साल 2005 में हुए आतंकी हमले के मामले में प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट अठारह जून को अपना फैसला सुनाएगी. आतंकी संगठन लश्करे तैयबा द्वारा कराए गए इस हमले में पांच आतंकवादी और एक टूरिस्ट गाइड समेत सात लोग मारे गए थे, जबकि हमले में सीआरपीएफ व पीएसी के सात जवान गंभीर रूप से ज़ख़्मी हुए थे. सुरक्षा कारणों से इस मामले का फैसला प्रयागराज की नैनी सेन्ट्रल जेल में बनाई गई अस्थाई अदालत में सुनाया जाएगा.


स्पेशल जज दिनेश चंद्र की कोर्ट का फैसला सुबह करीब ग्यारह बजे आने की उम्मीद है. हमले की जांच कर रही टीम ने इस मामले में बाद में पांच आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इनमे दिल्ली के साकेत नगर में क्लीनिक चलाने वाला सहारनपुर का डॉ इरफ़ान मास्टर माइंड है, जबकि बाकी चार लोग जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं.


लश्कर-ए-तैयबा ने यह हमला विवादित ढांचे को गिराकर देश का माहौल खराब करने और बाबरी मस्जिद की घटना का बदला लेने की नीयत से कराया था. उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत 18 जून को सिर्फ गिरफ्तार पांचों आतंकियों के दोषी होने या नहीं होने पर फैसला सुनाएगी और दोषी साबित होने पर इन्हे दी जाने वाली सज़ा बाद में तय करेगी.


इन धाराओं में तय किए गए थे आरोप


पांच जुलाई साल 2005 में हुए इस हमले में गिरफ्तार पांचों आतंकियों डॉ इरफ़ान, आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद अजीज व मोहम्मद नसीम पर फैज़ाबाद की अदालत ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 353, 153, 153 A, 153 B, 295, 120 B के साथ ही 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट, अनलॉफुल अमेंडमेंट एक्ट की धारा 16, 18, 19, 20 व पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट की धाराओं में आरोप तय किये गए थे.


गिरफ्तार आतंकियों पर यह आरोप 19 अक्टूबर 2006 को तय किए गए थे. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आठ दिसंबर 2006 को यह मुकदमा फैज़ाबाद से प्रयागराज ट्रांसफर कर दिया गया. प्रयागराज डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के स्पेशल जज अतुल कुमार गुप्ता ने दो साल पहले मार्च महीने में इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. हालांकि जजमेंट रिजर्व होने के बाद मामले के फिर से सुनवाई की गई.


आतंकियों के पास से मिली थी ये चीजें


करीब बारह सालों तक चले इस संवेदनशील मुक़दमे की पूरी सुनवाई प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में ही हुई. मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से सत्तावन गवाह पेश किये गए. इसके अलावा आतंकियों के पास से बरामद एके- 47 राइफल, मोबाइल फोन, चाइनीज पिस्टल, रॉकेट लांचर, आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई मंकी कैप, बैरियर तोड़ने के लिए ब्लास्ट कराई गई मार्शल जीप, धार्मिक ग्रंथ, कारतूस व जम्मू व पानीपत से हथियार लाने वाली टाटा सूमो गाड़ी भी सबूत के तौर पर पेश की गई.


मामले की जांच करने वाली टीम के पास सबसे अहम सबूत मारे गए और गिरफ्तार आतंकियों की कॉल डिटेल्स के रिकार्ड हैं. हमले में मारे गए मानव बम समेत पांचों आतंकियों में से किसी की भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. इनके पास से मिले मोबाइल के सिमकार्ड भी पंजाब के फर्जी नाम-पते से खरीदे गए थे. जांच में यह बात सामने आई थी यह हमला देश के माहौल को बिगाड़ने और बाबरी मस्जिद के ढांचे को नुकसान पहुंचाने की घटना का बदला लेने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के एरिया कमांडर कारी ने कराया था.


ऐसे हुआ था हमला
अयोध्या के राम जन्म भूमि परिसर में यह आतंकी हमला पांच जुलाई साल 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे से शुरू हुआ था. हथियारों और गोला बारूद से लैस पांच अज्ञात आतंकियों ने इंट्री प्वाइंट पर लगे बैरियर को लूटकर लाई गई मार्शल जीप में ब्लास्ट कर तोड़ दिया था. ब्लास्ट के बाद अफरा-तफरी मचने पर पांचों आतंकी फायरिंग करते हुए मुख्य कैम्पस में घुसने लगे.


सुरक्षा बलों के साथ इन्होने करीब डेढ़ घंटे तक मुठभेड़ की. मुठभेड़ में मानव बम समेत हमलावर पांचों आतंकी मारे गए, जबकि आतंकियों द्वारा की गई फायरिंग में टूरिस्ट गाइड रमेश कुमार पांडेय व शांति देवी नाम की महिला की भी मौत हुई, जबकि सीआरपीएफ, पीएसी व पुलिस के सात जवान गम्भीर रूप से ज़ख़्मी हुए.


सुरक्षा बलों ने मारे गए आतंकियों के पास से कई एके- 47 राइफल, मोबाइल फोन, चाइनीज पिस्टल, कारतूस, रॉकेट लांचर व धार्मिक ग्रंथ कुरान के हिस्से पाए गए. मोबाइल फोन के सहारे की गई तफ्तीश के आधार पर जांच टीम ने बाद में हमलावर आतंकियों के पांच साथियों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया.


पकड़े गए पांच आतंकियों में दिल्ली की संगम विहार कालोनी में क्लीनिक चलाने वाले यूपी के सहारनपुर का डॉ इरफ़ान मास्टर माइंड था, जबकि आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक, मोहम्मद नसीम, मोहम्मद अजीज व शकील अहमद जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं. गिरफ्तारी के बाद से ही यह सभी आतंकी प्रयागराज की सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखे गए हैं.


जांच एजेंसियों ने बताई थी वजह


जांच एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के एरिया कमांडर ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना का बदला लेने के लिए कराया था. हमलावर आतंकी विवादित ढांचे को गिराकर देश का माहौल खराब करना चाहते थे. गिरफ्तार पांचों आतंकी इस हमले की साजिश रचने में शामिल थे और साथ ही इन्होने हमलावरों को हथियार व गाड़ियां मुहैया कराई थीं. एके- 47 राइफलें हरियाणा के पानीपत से पहले यूपी के अलीगढ़ लाई गई थी और बाद में इन्हे अयोध्या पहुंचाया गया था.


हमले का मास्टरमाइंड था डाक्टर इरफ़ान


गिरफ्तार पांच आतंकियों में मास्टरमाइंड डाक्टर इरफ़ान ने ही पूरी साजिश रची थी. सभी आतंकी दिल्ली में उसकी क्लीनिक पर मिलते थे. इरफ़ान ही अपने मोबाइल से सभी की आपस में बात कराता था व इसी ने आतंकियों को पनाह देने के साथ ही रेकी कर घटनास्थल की लोकेशन मुहैया कराई थी. गिरफ्तार नसीम ने लश्करे तैयबा के एरिया कमांडर कारी की बाकी लोगों से मुलाकात कराई. इसने अपनी आईडी पर भी सिम लेकर हमलावरों को दिए और पानीपत जाकर वहां से राइफलों व दूसरे हथियारों का इंतजाम किया.


अजीज ने सिम खरीदने में वेरीफिकेशन किया था व आतंकियों को कई दूसरे तरीकों से भी मदद की थी. शकील अहमद ने आतंकियों व हथियारों को लाने-ले जाने के लिए अपनी टाटा सूमो गाड़ी थी और इसके बदले दो लाख बीस हजार रूपये लिए थे. शकील ने इस्लाम के जिहाद के नाम पर गाड़ी दी थी और वह भी पूरी साजिश में शामिल था. लश्कर के कमांडर से उसकी मुलाकात ड्राइवर आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक के घर पर हुई थी. आसिफ इकबाल शकील की टाटा सूमो का ड्राइवर था. आतंकी कमांडर कारी ने कुछ मोबाइल फोन व हथियार आसिफ के ज़रिये ही आतंकियों को भिजवाया था. जम्मू से आतंकियों व पानीपत से हथियार लाने में जिस टाटा सूमो का इस्तेमाल किया गया, उसे आसिफ इकबाल ही चलाता था. आसिफ ने ही अपने मालिक शकील व इरफ़ान की मुलाक़ात भी कराई थी.