लखनऊ: आप बहुत मुसीबत में हों, और थानेदार से लेकर इलाक़े के एसपी तक फ़ोन न उठायें, तो फिर आप पर क्या बीतेगी ? रात की बात तो अलग है, दिन में भी पुलिस अफ़सर अपना सरकारी मोबाइल फ़ोन नहीं उठाते हैं. यूपी में ये तो आम बात है. अब ऐसे हालात में अगर देर रात 3 बजे राज्य के डीजीपी किसी अनजान व्यक्ति का फ़ोन उठा लें, उसकी बात सुन लें और फिर उस मामले में उसी वक़्त कार्रवाई हो जाए. तो एक बार तो यक़ीन नहीं होगा. लेकिन ये सोलह आने सच है. मिर्ज़ापुर में जमीन क़ब्ज़े के एक मामले में ऐसा ही हुआ. डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने तो लापरवाही के आरोप में जिले की एसपी को भी हटा दिया. अब देर रात तीन बजे फोन पर हुए एक्शन की चर्चा सत्ता के गलियारें में हो रही है.


अब हम आपको पूरी कहानी बताते हैं. राजाराम यूपी के मिर्ज़ापुर जिले के रहने वाले हैं. उनके गांव दहमर में कुछ लोगों से उनका जमीन का झगड़ा था. कोर्ट ने उस विवादित जमीन पर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी. लेकिन राजाराम के विरोधी नहीं माने. पिछले कुछ दिनों से रात के अंधेरे में जमीन पर काम शुरू हो गया था. मंगलवार की देर रात तो जेसीबी भी पहुंच गई.


हैरान परेशान राजाराम मौक़े पर पहुंचा तो दबंगों ने जान से मारने की धमकी देकर उन्हें भगा दिया. मदद के लिए पहले उन्होंने इलाक़े के थानेदार को फ़ोन किया. फ़ोन नहीं उठा तो सीओ के मोबाइल पर बात करने की कोशिश की. फिर भी बात नहीं बनी तो राजाराम ने एसपी शालिनी को फ़ोन किया. थक हार कर उन्होंने डीजीपी ओपी सिंह को सरकारी नंबर पर फ़ोन किया. दो घंटी बजने पर ही फ़ोन उठ गया.


राजाराम ने अपनी पूरी रामकहानी पुलिस के मुखिया को बताई. उस वक़्त रात के तीन बज रहे थे. थोड़ी ही देर में मिर्ज़ापुर के सोते हुए पुलिस अधिकारी जग गए. जमीन पर अवैध निर्माण का काम रूक गया, दो लोग गिरफ़्तार भी कर लिए गए. राजाराम के लिए अब भी ये सब किसी आठवें अजूबे से कम नहीं है. वे कहते हैं कि मैं तो निराश हो गया था, कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही थी. लेकिन एक फ़ोन से काम हो गया. इस मामले में फ़ोन न उठाने वाले पुलिस अफ़सरों को डीजीपी ने फटकार लगाई.


अब इस ख़बर की पुलिस महकमे में ख़ूब चर्चा है. डीजीपी ओम प्रकाश सिंह कहते हैं “पुलिस अफ़सरों को हर वक़्त फ़ोन उठाना चाहिए. न जाने लोग किस मुसीबत में हों. शिकायत मिलने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई होगी”.