यूपी: डिंपल यादव ने मायावती के पैर छूकर लिया आशीर्वाद, सुप्रीमो ने डिंपल को बताया ‘परिवार की बहू’
मायावती ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन के बाद डिंपल यादव को पूरे दिल से अपने खुद के परिवार की बहू मानती हूं. अखिलेश यादव भी मुझे बड़ी ही मानकर चलते हैं जिससे इनकी पत्नी का हमारे परिवार के साथ खास रिश्ता बन गया है और आगे भी बना रहेगा.
नई दिल्ली: यूपी के कन्नौज में हुई एसपी-बीएसपी और आरएलडी गठबंधन की संयुक्त रैली में सपा-बसपा को मजबूत होते रिश्तों की एक झलक दिखाई पड़ी. रैली में शामिल होने पहुंची डिंपल यादव ने मंच पर समर्थकों का अभिवादन करने के बाद मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिए. मायावती ने भी उन्हें मुस्कुराते हुए अपना हाथ उनते सिर पर फेरा और आशीर्वाद दिए. इसके बाद उन्होंने रैली को संबोधित किया. डिंपल यादव कन्नौज से गठबंधन की उम्मीदवार हैं. मायावती यहां उनके लिए वोट मांगने पहुंची थीं.
बसपा सुप्रीमो ने डिंपल को अपने ‘‘परिवार की बहू’’ बताया और अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे एकजुट होकर भारी बहुमत से डिंपल यादव को विजयी बनाएं. साथ ही उन्होंने अखिलेश की भी तारीफ की और कहा कि गठबंधन से सामाजिक परिवर्तन को गति मिलेगी. बीजेपी का कोई हथकंडा काम नहीं आएगा.
मायावती ने कहा, "सपा के साथ गठबंधन के बाद डिंपल यादव को पूरे दिल से अपने खुद के परिवार की बहू मानती हूं. अखिलेश यादव भी मुझे बड़ी ही मानकर चलते हैं जिससे इनकी पत्नी का हमारे परिवार के साथ खास रिश्ता बन गया है और आगे भी बना रहेगा."
इससे पहले उत्तर प्रदेश में 24 साल बाद एक बार फिर नई सियासी तस्वीर देखने को मिली थी. समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया मायावती एक मंच पर दिखे थे.
रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने वहां मौजूद लोगों से मुलायम सिंह को वोट देने की अपील की थी. मायावती ने कहा था कि मुलायम सिंह ने पिछड़े वर्गों के लिए काम किया है वह खुद भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. उन्हें वोट देकर जिताएं.
वहीं मुलायम सिंह ने कहा था कि मायावती ने हमारी कई बार मदद की है. इस बार भी गठबंधन के सभी प्रत्याशियों को जिताएं. मैं मायावती जी का बहुत सम्मान करता हूं. उनका ही एहसान है कि आज हमारे बीच में हैं.
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी यूपी में करीब 20 फीसदी वोट लाने के बावजूद 80 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. तब यूपी की सत्ता पर काबिज अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी करीब 22 फीसदी वोटों के साथ पांच सीटे ही जीत सकी थी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दोनो ही पार्टियों को तगड़ा झटका लगा. तीन बार मुख्यमंत्री रही मायावती को 19 सीटें (22.2%) मिली वहीं सत्ता पर काबिज अखिलेश यादव को 47 (22) सीटें मिली. बीजेपी ने दोनों पार्टियों की कमर तोड़ते हुए कुल 403 सीटों में से 312 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की.
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