लखनऊ: पार्टी से निकाले जाने के बाद आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव और पिता शिवपाल यादव को अपना दमखम दिखाया है. विधायकों पर अपनी तगड़ी पकड़ का प्रदर्शन कर दोनों को ही पहले दौर में सीधी पछाड़ दी है. ऐसा माना जा रहा था कि अखिलेश के पास 175 विधायकों का समर्थन है. लेकिन आज सुबह अखिलेश की बुलाई बैठक में इससे ज्यादा विधायक पहुंचे. साथ ही 34 एमएलसी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.
बैठक में रो पड़े सीएम अखिलेश
बैठक को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि मैं नेताजी से दूर नहीं हूं. मैं यूपी जीतकर उन्हें तोहफा दूंगा. अखिलेश ने कहा कि कोई नेता जी का सम्मान नहीं करेगा तो उन्हें बहुत ठेस पहुंचेगी. विधायकों ने अखिलेश से कहा कि यूपी की जनता ने आप पर भरोसा दिखाया है. हम नेताजी का सम्मान और आपका नेतृत्व चाहते हैं.
200 से ज्यादा विधायकों के समर्थन के साथ अखिलेश सीधे तौर पर यह संकेत दे रहे हैं कि पार्टी भले ही उन्हें बाहर कर दे लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर विधायकों की पसंद वहीं हैं. ऐसे में अगर सदन में शक्ति परीक्षण की नौबत आती है तो वह अपना समर्थन दिखा सकते हैं. इसके बाद मुलायम के घर उनसे मिलने पहुंचे सीएम अखिलेश ने उन्हें 207 विधायकों के समर्थन की लिस्ट सौंपी. इससे पहलेे कांग्रेस की तरफ से यह संकेत मिले थे कि अगर शक्ति परीक्षण की नौबत आती है तो वह अखिलेश का समर्थन कर सकती है.
अखिलेश को मिला बहुमत का साथ
बैठक में 198 विधायकों के समर्थन के साथ अखिलेश सीधे तौर पर यह संकेत दे रहे हैं कि पार्टी भले ही उन्हें बाहर कर दे लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर विधायकों की पसंद वहीं हैं. ऐसे में अगर सदन में शक्ति परीक्षण की नौबत आती है तो वह अपना समर्थन दिखा सकते हैं.
आजम के साथ मुलायम से मिलने पहुंचे अखिलेश
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आजम खां के साथ 25 मिनट की बैठक के बाद मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे हैं. बता दें कि अाजम खान दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं. अखिलेश के इस कदम को अब सपा विवाद में नया मोड़ माना जा रहा है.
बैठक में रामगोपाल यादव भी शामिल
अखिलेश की इस बैठक में मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव भी शामिल है. रामगोपाल यादव को भी एक जनवरी को पार्टी की बैठक बुलाने के कारण 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया है. करीब सवा 10 बजे अखिलेश समर्थकों के साथ बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इस दौरान अखिलेश के घर के बाहर उनके समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ गई, जिसको देखते हुए वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. इस बैठक में मोबाइल ले जाने की इजाजत नहीं थी.
क्यों अहम है बैठक ?
अखिलेश की तरफ से बुलाई गई इस बैठक को इसलिए ज्यादा अहम माना जा रहा है क्योंकि यूपी की 403 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए 202 सीटों की जरूरत है, मौजूदा स्थिति में अखिलेश की बैठक में 198 विधायक पहुंच गए हैं. ऐसे में अखिलेश यादव का पलड़ा भारी होता हुआ दिखाई दे रहा है.
क्या चाहता है अखिलेश खेमा ?
पहला प्रस्ताव: अमर सिंह को पार्टी से निकाला जाए
दूसरा प्रस्ताव: अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए
तीसरा प्रस्ताव: पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को संरक्षत बनाया जाए
चौथा प्रस्ताव: 2 जनवरी को होने वाली बैठक को रद्द कर दिया जाए
क्या है विवाद?
ताजा विवाद टिकटों कें बंटवारे को लेकर है. मुलायम ने यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी के 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में अखिलेश के करीबियों का नाम नहीं था. पिता के फैसले से नाराज अखिलेश ने ने 235 उम्मीदवारों की अलग लिस्ट जारी कर दी.
इसके बाद सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक जनवरी को पार्टी की आपात बैठक बुला ली, जिससे नाराज होकर मुलायम ने रामगोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया.
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