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यदि किसी एक को बहुमत नहीं मिला तो क्या है विकल्प?
नई दिल्ली: यूपी में पांच दौर के मतदान के बाद भी सभी पार्टियों जीत के दावे तो कर रही हैं लेकिन अब सबको ये आशंका भी होने लगी है कि कहीं त्रिशंकु विधानसभा बन गई तो क्या होगा. हर कोई जनता को सावधान कर रहा है कि हमें वोट नहीं दिया तो बाकी मिलकर सौदेबाजी कर लेंगे. सौदेबाजी की आशंका खुद पीएम मोदी ने आज जता दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान के बाद यूपी के नतीजों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. उन्होंने मऊ की रैली में कहा कि एसपी और बीएसपी राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की साजिश रच रहे हैं. त्रिशंकु विधानसभा की बात आज पहली बार उठी है लेकिन सच यही है कि इसकी आहट काफी पहले से सुनाई पड़ रही है.
300 सीटें जीतने का दावा तो सबका है लेकिन प्रचार की भाषणबाजी से त्रिशंकु विधानसभा की आशंका अब चर्चा में है. हर कैंप दूसरे कैंप से डरा हुआ है. मऊ की रैली में पीएम मोदी ने खुलकर सौदेबाजी की आशंका सामने रख दी.
त्रिशंकु विधानसभा मतलब सत्ता की चाबी किसी एक के पास नहीं और सियासी मलाई के लिए जरूरी है कि सियासी त्रिकोण के दो कोण आपस में मिल जाएं. पीएम कह रहे हैं कि जमकर सौदेबाजी होगी. लेकिन जो आरोप पीएम लगा रहे हैं, वही आरोप मायावती ने भी लगा दिया है. मायावती ने कहा कि बबुआ और मुलायम की बीजेपी को फायदा पहुंचाने की साजिश है.
आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में पहली बार खुलकर उतरी डिंपल यादव पूरे मामले को सियासी रक्षाबंधन तक ले गईं. डिंपल यादव ने कहा कि तीन बार राखी बांध चुकी हैं, चौथी बार बांधने की तैयारी है. डिंपल यादव जिस रक्षाबंधन का जिक्र कर रही हैं वो 15 साल पुरानी बात है और उस समय मायावती ने बीजेपी नेता लाल जी टंडन को राखी बांधी थी.
वैसे मायावती को समर्थन देने से पहले बीजेपी ने साल 1989 में मुलायम सिंह की सरकार भी बनवाई थी लेकिन राम मंदिर आंदोलन के मुद्दे पर उनसे समर्थन वापस ले लिया था. 1993 में मुलायम और मायावती ने मिलकर जीत हासिल की थी. मायावती पहले 6 महीने के लिए सीएम बनी थी लेकिन 6 महीने बाद जब उन्होंने मुलायम को सत्ता देने से मना कर दिया तो सरकार गिर गई.
वैसे 2007 से यूपी में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी है लेकिन आज पीएम ने जिस अंदाज में त्रिशंकु विधानसभा की बात छेड़ी है, उसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या यूपी में 202 का जादुई आंकड़ा इस बार हर किसी को परेशान कर रहा है ?
2002 में मायावती ने बीजेपी के साथ प्रयोग करके सरकार बनाई. तभी बीजेपी की राखी सिस्टर बनी थीं मायावती. 2004 में मुलायम ने कांग्रेस को समर्थन देकर केंद्र में यूपीए सरकार 5 साल तक चलवाई थी. अब उन्हीं के सुपुत्र कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.
जब त्रिशंकु विधानसभा की चर्चा हो रही है तो ये भी मान कर चलिए राजनीति में कोई किसी के लिए अछूत नहीं है. सवाल है क्या बीजेपी को रोकने के लिए मायावती-अखिलेश साथ आएंगे?
क्या मायावती को रोकने के लिए अखिलेश-बीजेपी साथ होंगे? क्या अखिलेश को रोकने के लिए बीजेपी-मायावती साथ होंगे?
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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