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थम गया यूपी में पहले चरण का चुनाव प्रचार, यहां पढ़ें हवा का क्या सियासी रुख है?
नई दिल्ली: यूपी में पहले चरण के लिए प्रचार आज थम गया है. परसों 11 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. यहां हवा का क्या सियासी रुख है? पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में कल वोट पड़ेंगे उनमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज में वोट डाले जाएंगे.
जाट-मुस्लिम तय करेगा रुख
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अधिकतर इलाका जाट और मुस्लिम बाहुल्य है और इन इलाकों में यही मतदान का रुख भी तय करते हैं. मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर के इलाके के मुस्लिमों में सपा-कांग्रेस के पक्ष में झुकाव दिख रहा है, लेकिन चुनाव से दो दिन पहले आए फतवे से इसमें कुछ बदलाव आ सकता है.
बीजेपी को जाट देंगे वोट?
पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर से लेकर मेरठ तक की बेल्ट जाट बाहुल्य मतदाताओं की है. 2014 के लोकसभा चुनावों में जाटों ने बीजेपी को वोट दिया था, उसका फायदा भी बीजेपी को मिला था, लेकिन इस बार जाट बीजेपी से नाराज हैं. जाटों के नेता यशपाल मलिक का कहना है कि बीजेपी ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया, ना तो आरक्षण का और ना ही मुजफ्फरनगर दंगों के दोषियों को सजा दिलाने का. ऐसे में जाट आरक्षण संघर्ष समिति पश्चिमी यूपी में अभियान चलाकर बीजेपी के खिलाफ वोट करने की अपील कर रही है. हालांकि बीजेपी जाटों को मनाने में कसर नहीं छोड़ रही है. कल ही अमित शाह ने जाट नेताओं को समझाने की कोशिश की है लेकिन अभी ये भरोसा नहीं है कि जाट फिर बीजेपी को वोट देंगे.
अजित सिंह को जाटों से उम्मीद
बीजेपी से मोहभंग होने के बाद जाट वोट पाने के लिए जाटों के नेता अजित सिंह की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जाटों के वोट करने का पैटर्न भी बताता है कि एक बार वो अजित सिंह को वोट देते हैं और अगली बार अंगूठा दिखा देते हैं. इस लिहाज से भी अजित सिंह को काफी उम्मीद है.
2014 वाले हालात नहीं हैं?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव जैसे हालात नहीं हैं, ना तो पलायन का मुद्दा गरमा पाया है और ना ही लव जेहाद का. ऐसे में ध्रुवीकरण का फायदा भी बीजेपी को मिलने की उम्मीद कम ही है, ऐसे में वोट सिर्फ जात-पात के आधार पर पड़ने की संभावना है.
कई बड़ों के लिए मुश्किल?
पहले चरण के चुनावों में शामली की थाना भवन सीट से बीजेपी की सुरेश राणा और मेरठ की सरधना सीट से संगीत सोम को इस बार कड़ी टक्कर मिल रही है, RLD ने दोनों सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं, तो समाजवादी पार्टी ने अपने दोनों उम्मीदवार जाट बिरादरी के उतार दिए हैं. ऐसे में बीजेपी के वोटों में सेंध लगनी तय है.
नोएडा सीट पर प्रतिष्ठा दांव पर
गौतमबुद्धनगर की नोएडा सीट से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. वैसे तो ये सीट बीजेपी का गढ़ रही है, करीब सवा पांच लाख वोटरों वाली इस सीट पर पंकज का मुकाबला एसपी-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार सुनील चौधरी से है, लेकिन ब्राह्मण बहुल इस सीट पर बीएसपी के उम्मीदवार एकमात्र ब्राह्णण उम्मीदवार रविकांत मिश्रा को भी कम नहीं आंका जा सकता.
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