लखनऊ: बीजेपी हिंदू वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, वहीं मायावती मुस्लिम वोटरों को अपने साथ लाने की कोशिश में हैं.  यही वजह है कि वो रैलियों में खुलकर मुसलमानों से कह रही हैं कि समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को वोट मत देना.


मायावती का दलित और मुस्लिम वोट बैंक का फॉर्मूला


पश्चिमी यूपी के फर्रुखाबाद में खुल्लम खुल्ला मायावती ने मुसलमानों से वोट मांगी. क्योंकि मायावती को मालूम है कि अगर मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया तो सत्ता में वापसी मुश्किल है.


मायावती इस बार दलित और मुस्लिम गठजोड़ का फॉर्मूला अपनाने की कोशिश कर रही हैं, जाति और धर्म का ये पूरा गणित हम आपको समझाते हैं.


दलित वोटरों की बात


यूपी में 21 से बाइस फीसदी दलित वोटर हैं, जिनका ज्यादातर वोट मायावती को मिलता रहा है. एबीपी न्यूज-सीएसडीएस के सर्वे में भी ये बात दिखी थी. अगर जाटव दलित वोटरों की बात करें तो सर्वे के मुताबिक, मायावती का पार्टी के साथ 79% वोटर हैं, वहीं गैर जाटव 47 फीसदी दलित वोटर मायावती की पार्टी के साथ हैं.


मुस्लिम वोटरों की बात


अब अगर दलित वोट के साथ मुसलमानों का भी वोट मायावती की पार्टी को मिल जाता है तो बात बन सकती है. इक्कीस से बाइस फीसदी दलित और बीस फीसदी मुस्लिम मिलकर मायावती की सत्ता में वापसी दिला सकते हैं, लेकिन परेशानी ये है कि इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है.


मायावती ने यूपी चुनाव में 97 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. मायावती पूरा जोर लगा रही हैं, लेकिन सर्वे के नतीजे अच्छे संकेत नहीं दे रहे. सर्वे में चौहतर फीसदी मुस्लिम मायावती के साथ हैं. अगर सर्वे के आंकड़े सच हो गए तो मायावती के लिए बड़ी मुश्किल है, इसलिए वो मुसलमानों का वोट मांग रही हैं.


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