तीन दिन रहे पीएम मोदी लेकिन इस वजह से नाराज हैं कुछ बनारस वाले!
नई दिल्ली: काशी का किला जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा जोर लगा दिया, 3 दिन तक वो वाराणसी में डेरा डाले रहे लेकिन वो काशी के उस किले में नहीं गए जहां वो शख्स रहता है जिसे काशी के लोग भगवान मानते हैं.
वाराणसी में आज भी काशी नरेश यानी काशी के राजा मौजूद हैं औऱ लोगों का कहना है कि कोई भी बड़ी हस्ती जब वाराणसी आती है तो काशी नरेश से जरूर मिलती है. ऐसे में पीएम मोदी के काशी नरेश से न मिलने पर यहां के कुछ लोगों में नाराजगी है.
गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बना किला काशी के इतिहास की बड़ी कहानी है. इस किले को 1750 में उस वक्त के काशी नरेश बलवंत सिंह ने बनवाया था. राजा रजवाड़ों के दौर में काशी रियासत हुआ करती थी. आजादी के बाद जब सारी रियासतें भारत में मिल गईं तो काशी भी भारत का हिस्सा बन गया. उस वक्त डॉक्टर विभूति नारायण काशी नरेश हुआ करते थे.
ये किला सत्रहवीं शताब्दी में बना था और आज की तारीख में यहां राजा अनंत नारायण सिंह रहते हैं और यहां कुछ इस तरह की कहानियां है जिसे सुनकर आप कहेंगे कि काशी में इतिहास की कोई कमी नहीं है. अब भले रही राजाओँ की परंपरा खत्म हो चुकी है लेकिन रामनगर के इस किले में रहने वाले काशी नरेश को आज भी न सिर्फ महाराजा जैसा सम्मान मिलता है बल्कि उसे काशी के शिव का प्रतीक माना जाता है.
मौजूदा दौर में काशी नरेश, नगर के धार्मिक अध्यक्ष माने जाते हैं, इसीलिए परंपरा रही है कि बाहर से आने वाले भी काशी नरेश को वही सम्मान देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिनों तक वाराणसी में रहने के दौरान रामनगर भी आए, वो यहां पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक निवास में गए लेकिन कुछ ही दूरी पर मौजूद काशी नरेश से मिलने नहीं गए, इस बात से इलाके के कुछ लोग खुश नहीं हैं.
हालांकि राजनीतिक तौर पर काशी नरेश का कभी किसी राजनीतिक दल से कोई रिश्ता नहीं रहा और न ही काशी नरेश की तरफ से किसी पार्टी के समर्थन या विरोध में कोई अपील की गई. लेकिन लोगों का मानना है कि जो काशी नरेश का सम्मान करता है उसे काशी के लोगों का भी प्यार मिलता है.