- मुलायम और अखिलेश में सुलह कराने के लिए आजम खान अखिलेश को मुलायम से मिलवाने ले गए.
- इसके बाद वहां एक घंटे लंबी बैठक चली. बैठक की शुरूआत में सिर्फ अखिलेश यादव, आजम खान और मुलायम सिंह यादव ही मौजूद थे. बाद में शिवपाल यादव भी इसमें शामिल हुए.
- बैठक शुरू होते ही आजम खान ने अखिलेश यादव को समझाया कि प्रदेश में पिता-पुत्र का रिश्ता मजाक का पात्र बन गया है. ऐसे में लोग पार्टी पर सवाल खड़े करने लगे हैं.
- आजम खान ने अखिलेश से कहा कि साल 2012 में आपके पिता मुलायम सिंह यादव ने ही आपको सीएम बनाया था, ऐसे में इस तरह से विवाद खड़ा कर देने से पार्टी को बहुत नुकसान हो सकता है.
- अखिलेश ने कहा कि मैं मानता हूं कि मै जो भी हूं इन्ही की बदौलत हूं लेकिन मेरे खिलाफ साजिश होती रही और नेता जी देखते रहे और उनकी ही मानी.
- नेता जी ने कहा कि मुझे सीएम नही बनना है. मैंने तो पांच साल पहले ही तुम्हे बना दिया था. लेकिन तुमने शिवपाल का अपमान किया, तुमने भी किसी के कहने पर ऐसा किया जो नही करना चाहिए था.
- शिवपाल यादव पूरी बैठक में चुप रहे.
- आजम खान ने दोनों को समझाने के बाद अखिलेश को कहा कि वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव के पैर छुएं. जिसके बाद मुलायम सिंह यादव ने उन्हें गले लगा लिया.
लेकिन सुलह सिर्फ इतने पर ही नहीं हुई. इस बैठक में कुछ बातों पर सहमति बनी. - इस बैठक पहली बात यह तय हुई कि अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन तुंरत प्रभाव से रद्द होगा.
- बैठक में यह भी तय हुआ कि भविष्य में पार्टी के हित में कोई भी फैसला मुलायम और अखिलेश दोनों मिलकर करेंगे. इसमें शिवपाल और रामगोपाल यादव की कोई भूमिका नहीं होगी.
- बैठक में यह बात भी तय हुई कि मुलायम खेमे और अखिलेश खेमे की दोनों लिस्ट रद्द कर दी जाएंगी. जिसके बाद आपसी सहमति के बाद उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की जाएगी.
बता दें कि इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि प्रदेश में सीएम उम्मीदवार का एलान बाद में किया जाएगा. लेकिन अब यह बात सामने निकल कर आ रही है कि मुलायम सिंह यादव एक-दो दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम उम्मीदवार का एलान कर सकते हैं.
क्या है विवाद?
ताजा विवाद टिकटों कें बंटवारे को लेकर था. मुलायम ने यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी के 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में अखिलेश के करीबियों का नाम नहीं था. पिता के फैसले से नाराज अखिलेश ने ने 235 उम्मीदवारों की अलग लिस्ट जारी कर दी.
इसके बाद सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक जनवरी को पार्टी की आपात बैठक बुला ली, जिससे नाराज होकर मुलायम ने रामगोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था.
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