लखनऊ: समाजवादी पार्टी कुनबे में मची कलह को खत्म कराने की कोशिशें कामयाब हो गई हैं. आजम खान की मध्यस्था में अखिलेश और मुलायम खेमे के बीच करीब एक घंटे तक बैठक हुई. बैठक के बाद सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन वापस ले लिया गया है.
बैठक में अखिलेश ने करा दिया ताकत का एहसास
इससे पहले कोशिश ये हो रही थी कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए, जिससे टूट के मुहाने पर खड़ी पार्टी बच जाए. इस कोशिश के कामयाब होने की संभावना इसलिए ज्यादा दिख रही है क्योंकि बहुमत के लिए जरूरी विधायकों से भी ज्यादा विधायकों का समर्थन दिखा कर अखिलेश यादव ने अपनी ताकत का अहसास करा दिया है. ऐसे में उम्मीद है कि मुलायम सिंह यादव अब थोडी नर्मी दिखाएंगे औऱ अखिलेश की बातों को गंभीरता से लेंगे. विधायकों के साथ बैठक के बाद अखिलेश यादव पिता औऱ सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिलने भी गए.
अखिलेश ने मुलायम को सौंपी 207 विधायकों के समर्थन की लिस्ट
पिता औऱ पुत्र के बीच सुलह सफाई की कोशिशों में आजम खान मध्यस्थ की भूमिका में हैं. सुबह आजम खान की ओर से पहला बयान आया कि वो मुलायम औऱ अखिलेश दोनों में से किसी की भी बैठक में शामिल नही होंगे. थोड़ी ही देर बाद मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे. उनसे बातचीत के बाद आजम खान अखिलेश यादव से मिले. फिर विधायकों की बैठक खत्म कर अखिलेश 207 विधायकों के समर्थन की लिस्ट लेकर आजम खान के साथ मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे. थोड़ी देर के बाद वहां शिवपाल यादव भी पहुंच गए.
ऐसा बताया जा रहा है अखिलेश खेमे की ओर से समझौते के लिए कुछ प्रस्ताव ऱखे गए हैं.
- अमर सिंह को पार्टी से निकाला जाए
- अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए
- पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को संरक्षक बनाया जाए
- 2 जनवरी को होने वाली बैठक को रद्द कर दिया जाए
बीच बचाव की कोशिश में लगे लालू प्रसाद यादव
बीच बचाव कराने की कोशिशों में मुलायम सिंह परिवार के संबंधी औऱ आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं. लालू यादव ने सुबह 8 बजे मुलायम सिंह यादव औऱ अखिलेश दोनों को अलग अलग फोन कर बात की. अखिलेश को नसीहत दी कि जाकर मुलायम सिंह यादव से मिलें. तो वहीं मुलायम सिंह यादव को भी सलाह दी कि इधर उधर के चक्कर में नही पड़ें.
बहरहाल, समाजवादी कुनबे की कलह पर फिलहाल के लिए विराम तो लग गया है. लेकिन इस बार के कलह का हासिल यह रहा कि अखिलेश ने पार्टी में अपने विरोधियों के साथ साथ अपने पिता को भी अपना दमखम साफ दिखा दिया.
क्या है विवाद?
ताजा विवाद टिकटों कें बंटवारे को लेकर है. मुलायम ने यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी के 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में अखिलेश के करीबियों का नाम नहीं था. पिता के फैसले से नाराज अखिलेश ने ने 235 उम्मीदवारों की अलग लिस्ट जारी कर दी.
इसके बाद सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक जनवरी को पार्टी की आपात बैठक बुला ली, जिससे नाराज होकर मुलायम ने रामगोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया.
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