नई दिल्ली/लखनऊ: यूपी में बहुजन समाज पार्टी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की परोल के लिए कांग्रेस के दो बड़े नेता कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं. चुनाव में तो ये दुश्मन हैं, लेकिन अदालत में दोस्त बन गए हैं. क्योंकि यूपी चुनाव में बीएसपी की लड़ाई समाजवादी पार्टी से है और समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन है.
मुख्तार अंसारी की वजह से हुआ था सपा में झगड़ा !
मुख्तार अंसारी मऊ से बीएसपी के उम्मीदवार हैं. हाईकोर्ट में इनके परोल को लेकर केस चल रहा है. ये वही मुख्तार अंसारी हैं जिनकी वजह से समाजवादी पार्टी में झगड़े की शुरुआत हुई. दरअसल शिवपाल यादव ने अंसारी बंधुओं अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय करवाया था. लेकिन अखिलेश इस विलय के सख्त खिलाफ थे. अखिलेश के विरोध के बाद अंसारी बंधु समाजवादी पार्टी छोड़कर बीएसपी में शामिल हो गए.
हालांकि एक वकील के तौर पर केस लड़ने में किसी को कोई एतराज नहीं हो सकता, लेकिन ये तो चर्चा शुरू हो ही गई कि राजनीति के मैदान में विरोधी का केस कांग्रेस के बड़े नेता क्यों लड़ रहे हैं. सवाल उठे तो दोनों वकीलों की तरफ से जवाब भी आया-
कपिल सिब्बल ने ABP न्यूज से बातचीत में कहा-
‘’ये पूरी तरह से व्यावसायिक था, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. एक वकील की हैसियत से मैं टीएमसी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस औऱ बीजेपी जैसी कई पार्टियों और उनके नेताओं के लिए कोर्ट में पेश हो चुका हूं. यहां मुद्दा ये था कि निचली अदालत ने चुनाव प्रचार के लिए परोल दे दी थी, जबकि हाईकोर्ट ने रोक लगा दी जिसकी वजह से एक उम्मीदवार को चुनाव प्रचार में जाने का मौका नहीं मिल रहा है.’’
सलमान खुर्शीद ने भी ABP न्यूज से कहा-
‘’भारतीय कानून के तहत मैं व्यावसायिक हैसियत से कोर्ट में पेश हुआ.’’
अंसारी पर क्या केस है ?
साल 2005 में बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का केस मुख्तार अंसारी पर चल रहा है. इसी केस में सीबीआई की अदालत से उन्हें चुनाव में प्रचार करने के लिए 17 फरवरी से 4 मार्च तक परोल दी थी. लेकिन चुनाव आयोग परोल के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया.
मऊ से उम्मीदवार हैं मुख्तार अंसारी
हाईकोर्ट ने 17 मार्च को ही अंसारी को मिली परोल पर रोक लगा दी. इसी रोक के खिलाफ अंसारी भी हाईकोर्ट पहुंचे जहां उनकी ओर से कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद ने पैरवी की. मुख्तार अंसारी जिस मऊ से उम्मीदवार हैं वहां 4 मार्च को वोटिंग है. नजर कोर्ट पर है कि मुख्तार को प्रचार के लिए परोल मिलती है या नहीं.