लखनऊ: विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें 12 से 15 फीसदी तक बढ़ाए जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार को निशाने पर लिया है. अखिलेश यादव, मायावती समेत कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिजली दरों पर विरोध जताया है.


समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "एक तरफ घटती आय व मांग की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है, वहीं प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं."


अखिलेश ने कहा, "कारोबारी व जनता, सब त्रस्त हैं. यूपी में निवेश की संभावनाएं भी क्षीण हैं क्योंकि इनके लिए कोई भी बैंक कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है. बिजली दर बढ़ने से निवेशक और दूर होगा."


बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने भी इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इससे 'मेहनती जनता' को अधिक परेशानी होगी.


उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है. इससे प्रदेश की करोड़ों मेहनती जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा व उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त व कष्टदायी होगा. सरकार को इस पर तुरन्त पुनर्विचार करना चाहिए."


कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि भाजपा अपनी नीतियों से आम आदमी को निशाना बना रही है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "पहले महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ और अब महंगी बिजली की मार : उप्र की भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है. क्यों? खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली जनता पर महंगाई का चाबुक चला कर रही है."


उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने हालांकि इस कदम का बचाव किया. शर्मा ने एक बयान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (यूपीएसईआरसी) द्वारा लिए गए निर्णय का कारण बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने उपभोक्ताओं की समस्याओं पर ध्यान दिया और न्यूनतम बढ़ोतरी की है.


बयान में कहा गया है कि प्री-पेड बिजली मीटर पर छूट 1.25 से बढ़ाकर 2 फीसदी कर दी गई है, जबकि 4.28 फीसदी के नियमित अधिभार को हटा दिया गया है.


बिजली दरों में बढ़ोतरी का कदम नवरात्रि, दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों से पहले आया है, जो अक्टूबर में मनाए जाएंगे. इससे पहले राज्य में बिजली दरों को नवंबर 2017 में संशोधित किया गया था.


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