नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद हुए कथित संदिग्ध पुलिस एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट फरवरी में विस्तार से सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट भी मांगी है. एनजीओ पीयूसीएल ने प्रदेश में करीब 500 एनकाउंटर में 58 मौतों को संदिग्ध बताते हुए एसआईटी जांच की मांग की है. मुठभेड़ को लेकर राज्य मानवधिकार आयोग ने भी प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.


पीयूसीएल की ओर ये दायर याचिका में कहा गया, ''राज्य आतंकवाद या बड़े अपराधियों से लड़ने के लिए संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ ऐसे साधनों को अपना नहीं सकता है. मुठभेड़ों के नाम पर ऐसी अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं को राज्य प्रायोजित आतंक माना जाता है.''


बता दें कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी एनकाउंटर पर सवाल खड़ा किया था. उन्होंने कहा है कि राज्य में जितने हो एनकाउंटर हो रहे हैं वह फर्जी हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि फर्जी एनकाउंटर की वजह से लोगों में डर फैल रहा है. फर्जी एनकाउंटर की वजह से यूपी की कानून व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा दायर किया था. इस हलफनामे में यूपी सरकार ने बताया था कि पुलिस ने अब तक की मुठभेड़ों के दौरन 48 अपराधियों का मार गिराया है. इस दौरान 319 पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि चार पुलिस कर्मियों के मारे जाने की बात भी बताई थी.