लखनऊ: यूपी में मंत्रिमंडल का विस्तार आज के लिए टल गया है. लेकिन इसी महीने कभी भी योगी सरकार में फेरबदल हो सकता है. बस इंतज़ार पीएम नरेन्द्र मोदी की हरी झंडी का है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी बीती रात मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया है. वे योगी सरकार में स्वतंत्र परभार के परिवहन राज्य मंत्री थे. एक व्यक्ति, एक पद के फ़ार्मूले को मानते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने इस्तीफ़ा दिया है.
सामाजिक समीकरण और परफ़ॉर्मेंस को आधार बनाते हुए योगी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ की इस मामले में लंबी बातचीत हो चुकी है. दिल्ली में हुई इस बैठक में यूपी में पार्टी के संगठन मंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे. इस मीटिंग में जिन लोगों को मंत्री बनाया जाना है और जिन्हें हटाया जाना है, उस पर मंथन हुआ.
बेहतर काम करने वाले दो नेताओं के लिए ख़ुशख़बरी
योगी सरकार में जिन्हें लाल बत्ती वाली गाड़ी मिलनी है, उनके नाम तय कर लिए गए हैं. मामला सिर्फ़ उन लोगों को लेकर फंसा हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना है. बीजेपी संगठन में बेहतर काम करने वाले दो नेताओं के लिए ख़ुशख़बरी है. अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर को मंत्री बनाया जा सकता है. सोनकर दलित समाज से हैं और कटारिया गुर्जर बिरादरी से. गुर्जर समाज से अब तक किसी को मंत्री नहीं बनाया गया था. पश्चिमी यूपी में इनकी अच्छी खासी आबादी है. कटारिया और सोनकर दोनों ही बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी हैं. दोनों को सुनील बंसल का क़रीबी माना जाता है. जौनपुर के रहने वाले सोनकर लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं.
अनूप वाल्मीकि को भी मिल सकती है योगी मंत्रिमंडल में जगह
दलित समाज से अनूप वाल्मीकि को भी योगी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. वे अलीगढ़ से विधायक हैं. पहली बार एमएलए बने वाल्मीकि की छवि एक मिलनसार नेता की है. पश्चिमी यूपी से ही हरिकिशन चौधरी को भी मंत्री बनाया जा रहा है. वे जाट बिरादरी से हैं. बरेली से विधायक अरूण श्रीवास्तव को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. योगी सरकार में कायस्थ बिरादरी को कोई मंत्री नहीं है. जबकि इस जाति के लोग परंपरागत रूप से बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं. समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी आए यशवंत सिंह भी मंत्री बनाए जा सकते हैं. वे बाहुबली नेता राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह के क़रीबी माने जाते हैं. यशवंत सिंह के इस्तीफ़ा देने के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ एमएलसी बने. आज़मगढ़ के रहने वाले यशवंत सिंह पहले भी राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बदले हालात में उन्हें योगी आदित्यनाथ का नज़दीकी माना जाता है. वे ठाकुर बिरादरी से हैं. ब्राह्मण कोटे से सतीश द्विवेदी को मंत्री बनाया जा सकता है. सिद्धार्थ नगर जिले से वे पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के बड़े नेता माता प्रसाद पांडे को हराया था. पांडे विधानसभा के अध्यक्ष थे. योगी ने पूर्वांचल में ब्राह्मणों का नया नेतृत्व खड़ा करने के लिए सतीश को चुना है.
अनुपमा जायसवाल की हो सकती है छुट्टी
जिन मंत्रियों के छुट्टी किए जाने की ख़बर है, उनमें अनुपमा जायसवाल पहले नंबर पर हैं. वे राज्य की शिक्षा मंत्री हैं. बताया जाता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ उनके काम काज से ख़ुश नहीं हैं. सरकारी स्कूलों में यूनिफ़ॉर्म से लेकर स्वेटर बांटने में हुई गड़बड़ी के लिए जायसवाल को ज़िम्मेदार माना जा रहा है. नंद गोपाल गुप्ता नंदी से भी योगी ख़ुश नहीं हैं. नंदी के पास स्टांप और नागरिक उड्डयन विभाग है. हाल में ही उनके जारी किए हुए तबादलों की लिस्ट पर सीएम ने रोक लगा दी थी. नंदी की पत्नी अभिलाषा प्रयागराज की मेयर हैं. श्रम और नियोजन राज्य मंत्री मनोहरलाल कोरी को भी हटाए जाने की चर्चा है.
19 मार्च 2017 को योगी मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी. उस वक़्त सीएम के अलावा 24 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार के और 13 राज्य मंत्री शामिल थे. कुल 46 मंत्रियों ने शपथ ली थी. नियमों के हिसाब से मंत्रियों की संख्या 60 हो सकती है. सरकार में मंत्री रहे सत्यदेव पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी और एस पी सिंह बघेल अब लोकसभा सांसद बन गए हैं. तीनों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है. पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर का भी इस्तीफ़ा हो चुका है. कुछ मंत्रियों का प्रमोशन किए जाने की चर्चा है. अनिल राजभर, महेन्द्र सिंह और भूपेन्द्र चौधरी को कैबिनेट बनाया जा सकता है.
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