देवरिया: पूर्वी यूपी का देवरिया जिला एक बार फिर चर्चा में हैं. कुछ महीने पहले देवरिया जिला बालिका संरक्षण गृह कांड को लेकर सुर्खियों में आया था. उनके शोषण की बात भी सामने आई थी. इस बार राजकीय बालगृह की खिड़की तोड़कर चार किशोर फरार हो गए हैं.


शुक्रवार की रात यहां के राजकीय बालक बालगृह में रहने वाले चार किशोर खिड़की तोड़कर फरार हो गए. इसमें एक बच्चा राजकीय इंटर कॉलेज में कक्षा नौ का छात्र था. सुबह इस घटना की जानकारी कर्मचारियों को हुई, तो उनके होश उड़ गये. घटना की सूचना पाकर प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और जांच-पड़ताल शुरू कर दी.


बालगृह के अधीक्षक यशोदानन्द तिवारी ने कोतवाली पुलिस को तहरीर दी है. यहां पर अनाथ बच्चों की परवरिश होती है. शहर के पाश इलाके में स्थित राजकीय बालक गृह में नाबालिग अनाथ बच्चों को रखा जाता है. कुछ बच्चों को उनके मां बाप स्वयं आर्थिक परेशानी की वजह से यहां छोड़ जाते हैं. कर्मचारियों के मुताबिक बीती रात लगभग 9 बजे सभी बच्चें खाना खाकर सोने चले गए. सुबह गिनती में चार किशोर कम मिले.



जांच में बालगृह के पीछे की खिड़की टूटी हुई मिली. फरार होने वाले में अभय वर्मा (16) पुत्र यमुना प्रसाद वर्मा, निवासी कटरा मोहल्ला, जिला आजमगढ़, श्रवण (15) पुत्र गुलाब, निवासी छोटे काजीपुर जिला गोरखपुर, बरकत अली (16) पुत्र रहमत अली पता अज्ञात और करन (14) पुत्र राजेन्द्र निवासी गढ़वारामपुर बड़हलगंज जिला गोरखपुर शामिल हैं. इनमें से अभय वर्मा राजकीय इंटर कॉलेज देवरिया में कक्षा 9 में पढ़ाई करता है.


बालगृह बालक में 50 बच्चों को रखने की क्षमता है. वर्तमान में यहां 25 बच्चे रह रहे थे. चार के फरार हो जाने के बाद अब 21 बच्चे रह गये हैं. इन बच्चों की देख-रेख के लिए 15 कर्मचारी तैनात हैं. रात में सुरक्षा के लिये दो केयर टेकर और दो होमगार्ड की तैनाती की जाती है. जिस रात को बच्चे फरार हुए उस दौरान केयर टेकर हरेन्द्र राय, विशाल आर्य और होमगार्ड महेन्द्र यादव ड्यूटी पर तैनात थे.


जबकि दूसरा होमगार्ड छुट्टी पर था. बच्चों के खाने-पीने का बकायदा मीनू तय है. जिसके हिसाब से इनको खाना दिया जाता है. बालकगृह में 10 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों को ही रखा जाता है. 18 साल की आयु पूरी करने के बाद इनको लखनऊ स्थित पाश्चातवर्ती देख-रेख संगठन के जिम्मे सौंप दिया जाता है. यहां 21 वर्ष की उम्र तक इन्हें रखा जाता है. उसके बाद अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है.


दो साल पहले बालगृह में रहने वाला 15 वर्षीय छोटू भी यहां से बाउण्ड्री लांघ कर फरार हो गया था. फरार होने के बाद वह बालगृह के बगल स्थित एक घर में छुपा था. जहां लोगों ने चोर समझकर पीटना शुरू किया था. बाद में पता चलने पर उसे बालगृह में सौंपा गया था.