लखनऊ: लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यूनिवर्सिटी के अकाउंट से लगभग एक करोड़ रुपये की रकम निकाल ली गई, लेकिन विवि प्रशासन को इसकी भनक तक न लग पाई. लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति एस.पी. सिंह ने शुक्रवार को बताया कि "यूनिवर्सिटी की 2000-01 की चेकबुक की नकल करके धन राशि निकाली गई. इसमें जालसाजों को 11 बार भुगतान किया गया. इस संबंध में हसनगंज थाने में मामला दर्ज कराया गया है. खास बात यह है कि पैसे निकालने में पुरानी चेक की क्लोनिंग की गई. चेक का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक से किया गया. ये सभी क्लोन चेक यूको बैंक के थे."
कुलपति ने बताया, "यूनिवर्सिटी के अकाउंट से अप्रैल 2018 से एक मई 2019 के बीच 11 चेक के जरिए 1,0982935 रुपये खाते से निकाले गए. इन चेक के माध्यम से 11 अलग-अलग फर्मों को भुगतान किया गया. मामला सामने आने पर इसकी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हसनगंज थाने में दर्ज कराई. जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है."
कुलपति ने कहा, "भुगतान करने में वर्ष 2000 की चेक, जो पहले जारी हो चुकी थी, उनका इस्तेमाल किया गया."
पुलिस के मुताबिक, जालसाजों ने चेक की क्लोनिंग कर वारदात को अंजाम दिया.
कुलपति सिंह ने जांच के लिए एक आंतरिक समिति भी गठित की है, जो पूरे प्रकरण की जांच करेगी.
पूरे मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. एक साल तक विवि के खाते से पैसे निकाले जाते रहे, लेकिन प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. मामला उजागर होने पर प्रेस वार्ता करके विवि प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है.
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