लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार पर एक बार फिर निशाना साधते हुये आरोप लगाया कि राज्य सरकार कुंभ के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है लेकिन सभी जनपदों में दिव्यांग बच्चों के लिये स्कूल खोलने को उसके पास बजट ही नहीं है.


प्रदेश सरकार में बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री राजभर ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, '2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुये ही मंदिर मुददे को हवा दी जा रही है. कुंभ के जरिये लोकसभा चुनाव के लिए ब्रांडिंग की जा रही है. कुंभ में हजारों करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है, जबकि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के लिये बजट मांगता हूं तो बजट नहीं है.


उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में केवल 16 दिव्यांग विद्यालय हैं.' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ' अब भला प्रदेश के डेढ़ करोड़ दिव्यांग बच्चे इन 16 स्कूलों में कैसे पढ़ेंगे. सभी जनपदों में विद्यालय खोलने के लिये बजट मांगता हूं तो बजट नहीं है. हम इस बारे में बोलते हैं तो कहते हैं कि हम विरोध में बोलते हैं.' इस बीच उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल से जब इस मामले में प्रतिक्रिया देने को कहा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में मुख्यमंत्री से सवाल करिए. मैं एक मंत्री हूं और उनके (राजभर के) ही समान हूं. इसलिये अपने समकक्ष मंत्री के सवाल का जवाब देने के लिये मैं उपयुक्त नही हूं.' राजभर ने रविवार को कहा था कि उनकी पार्टी बीजेपी से नाता जोड़े रखने को लेकर सही समय पर निर्णय लेगी.


अपनी ही सरकार पर लगातार हमले कर रहे राजभर ने बीजेपी की तरफ से खुद पर हुए पलटवार के बारे में अपने ख्यालात जाहिर करते हुए कहा ‘‘समय बताएगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हम एक साथ रहेंगे या नहीं.’’


उन्होंने कहा ‘‘वैसे हम बीजेपी के साथ हैं. मगर गलत बात को हमेशा गलत कहते रहेंगे. हम अपनी पार्टी का संगठन बढ़ा रहे हैं. चुनाव आएगा तो देखा जाएगा. हम सही समय पर फैसला लेंगे.’’


राजभर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय के उस बयान के बारे में सवाल किया गया था, जिसमें उन्होंने राजभर को ‘आवश्यक बुराई’ करार देते हुए कहा था कि वह उन्हें ढो रहे हैं.


प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजभर ने कहा, ‘‘हमें अनावश्यक क्यों ढो रहे हैं, हिम्मत हो तो हटा दें. सरकार को पिछड़ों के कल्याण का एक भी काम करने की फुरसत नहीं है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य सरकार से सुभासपा को एक कार्यालय भवन आवंटित करने को कहा था, मगर नहीं दिया गया. साथ ही विभिन्न शासकीय निगमों में से एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष पद देने को कहा था, वह भी नहीं हुआ. जाहिर है कि वह हमें अनावश्यक ही ढो रहे हैं.’’


विश्व हिन्दू परिषद और कुछ अन्य संगठनों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये कानून बनाने की मांग किये जाने के बारे में पूछे जाने पर राजभर ने कहा कि यह सिर्फ भावनाएं भड़काकर वोट लेने की साजिश है।.जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो फिजूल की बातें क्यों की जा रही हैं.