लखनऊ: पिछले 19 दिनों से चल रहे बिजली कर्मियों के विरोध प्रदर्शन की वजह से यूपी सरकार ने लखनऊ समेत सात शहरों में एकीकृत बिजली सेवाओं के निजीकरण की योजना वापस ले ली. यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की ओर से किए गए लिखित समझौते के बाद बिजली कर्मियों ने इस आंदोलन खत्म किया.
प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण की व्यवस्था सुधारने के नाम पर आगरा के बाद कई अन्य जिलों और शहरों के विद्युत वितरण को निजी हाथों में देने का फैसला किया था. इसके खिलाफ पिछले 19 दिनों से बिजली इंजीनियर और कर्मचारी 'विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति' के बैनर तले प्रदेश भर में आंदोलन कर रहे थे. विद्युत कर्मियों ने कॉरपोरेशन प्रबंधन को नोटिस देकर हड़ताल की चेतावनी दी थी.
इसके बाद गुरुवार को प्रबंधन और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से बातचीत हुई. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में गुरुवार रात तक चली बातचीत के बाद निजीकरण के फैसले को वापस लेने सहित अन्य संबंधित बिंदुओं पर सहमति बन सकी और लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने समिति से लिखित वादा किया है कि बिजली इंजीनियर्स और कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना अब प्रदेश में कहीं भी कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा.
दूबे ने कहा कि लिखित समझौते के मद्देनजर समिति ने आंदोलन वापस लेने का निर्णय किया है. लिखित समझौते के तहत रायबरेली, कन्नौज, इटावा, उरई, मऊ, बलिया और सहारनपुर के निजीकरण के टेंडर को वापस ले लिया गया है.
प्रबंधन में माना है कि कर्मचारियों और इंजीनियर्स को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा. समझौते में यह भी लिखा गया है कि अन्य लंबित समस्याओं का द्विपक्षीय वार्ता द्वारा समाधान किया जाएगा और वर्तमान आंदोलन के कारण किसी भी कर्मचारी और इंजीनियर के विरुद्ध किसी प्रकार का उत्पीड़न नहीं किया जाएगा.