इलाहाबाद: पूरब का आक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पांच जून को हॉस्टल वॉशआउट के मुद्दे पर हुई हिंसा व हंगामे के मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दखल दिया था. यूपी के गवर्नर राम नाईक ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया है कि पांच जून को हुई हिंसा व आगजनी की शिकायत शिकायत राष्ट्रपति तक पहुंची थी.


राष्ट्रपति कोविंद ने शिकायत पर सेंट्रल युनिवर्सिटी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जवाब तलब कर लेकर गवर्नर राम नाइक को इस बारे में मीडिया को जानकारी मुहैया कराने को कहा. इलाहाबाद के एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से मीडिया को जानकारी देते हुए गवर्नर राम नाईक ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर ही गर्मी की छुट्टियों में हास्टल वाश आउट कराया जा रहा था.


माना यह जा रहा है कि राष्ट्रपति कोविंद के दखल के बाद ही सेंट्रल युनिवर्सिटी प्रशासन बैकफुट पर आया था और उसने हॉस्टल खाली कराने के फैसले को वापस ले लिया था.


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गवर्नर राम नाइक द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ कुछ छात्र हास्टल नहीं खाली कर रहे थे और हाईकोर्ट के आदेश कि खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी चले गए थे. हांलाकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी.


जिसके बाद विश्व विद्यालय प्रशासन ने दो समर हास्टल छात्रों और दो समर हास्टल छात्राओं के लिए बनाये जाने का निर्णय लिया था. लेकिन हास्टल वॉश आउट के दौरान हुई तोड़फोड़ और आगजनी की घटना के बाद वॉश आउट की प्रक्रिया रोक दी गई है. लेकिन पुलिस की जांच आगे भी जारी रहेगी.


गवर्नर के मुताबिक मामले में गिरफ्तार 11 छात्रों में से एक छात्र को छोड़कर दस छात्रों को कोर्ट से जमानत मिल गई है. हांलाकि वे अभी जेल से रिहा नहीं हुए हैं.


दरअसल इस बवाल के बाद कांग्रेस के राज्य सभा सांसद प्रमोद तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने गवर्नर से मुलाकात कर पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी. जिसके बाद गवर्नर राम नाईक ने इलाहाबाद विवि के केन्द्रीय विश्वविद्यालय होने के चलते कांग्रेस का प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेज दिया था.