पूर्व टेस्ट ओपनर चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाले को छह करोड़, रजत जीतने वाले को चार करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को दो करोड़ रुपये का पुरुस्कार देगी.
चौहान ने कहा, "हमारी सरकार ने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले राज्य के खिलाड़ियों को क्रमश: 50 लाख, 30 लाख और 20 लाख रुपये देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगले महीने दो अक्टूबर को लखनऊ में पदक विजेताओं को सम्मानित करेंगे."
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पदक विजेताओं के अलावा एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को भी पांच-पांच लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे.
गौरतलब है कि जकार्ता एशियाई खेलों में उत्तर प्रदेश के 44 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था और इनमें से 11 ने पदक जीते थे. वहीं, गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में राज्य के सात खिलाड़ियों ने पदक जीते थे.
खेल मंत्री ने कहा, "हमने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को छह करोड़ रुपये की पुरुस्कार देने का फैसला किया है. हमें पता है कि राज्य में बहुत ज्यादा प्रतिभाएं हैं और ये पुरस्कार राशि उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगा."
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उन्होंने कहा, "यूपी सरकार ने खेल से संन्यास लेने वाले खिलाड़ियों को भी आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है. अर्जुन, द्रोणाचार्य और रानी झांसी पुरस्कार पाने वाले सभी खिलाड़ियों को प्रत्येक महीने 20,000 रुपये पेंशन दिया जाएगा."
खेल मंत्री ने कहा कि राज्य के पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को क्लॉस-2 की सरकारी नौकरी दी जाएगी, लेकिन इसके लिए उनके पास स्नातक की डिग्री होनी जरुरी है.
उन्होंने कहा, "हमने सभी पदक विजेताओं को सरकार के 11 विभागों में क्लॉस-2 सरकारी नौकरी देने का फैसला किया है. इसके जिन्होंने स्नातक नहीं किया है, उन्हें स्नातक करने के लिए चार साल का समय दिया जाएगा."
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चौहान ने कहा, "क्लॉस-2 की सरकारी नौकरी पाने के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है, इसलिए हमें एथलीटों को यह डिग्री हासिल करने के लिए चार साल का समय दिया है." उन्होंने कहा कि सरकार की खेल नीतियों के कारण खिलाड़ी अब वापस राज्य लौट रहे हैं.
पूर्व क्रिकेटर ने कहा, "हमने महिला एथलीट सुधा सिंह को नौकरी दी है. वह अभी मुंबई में रह रही है, लेकिन हमारी सरकार की तरफ से सभी तरह की सहायता मिलने के कारण अब वह वापस लखनऊ लौटना चाहती है. इससे पहले सुविधाओं के अभाव के कारण एथलीट राज्य छोड़ रहे थे."