कुशीनगर: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते भारत मे हुए लॉकडाउन के कारण 175 विदेशी बौद्ध भिक्षु और पर्यटक कुशीनगर में फंस गये हैं. फंसे हुए विदेशी बौद्ध भिक्षुओं और पर्यटकों में से 139 थाईलैंड से हैं जबकि 36 पर्यटक रूस, अमरीका, जापान, चिली और मैक्सिको आदि देशों के है.
ये सभी विदेशी नागरिक अपने-अपने देशों के दूतावासों से वतन वापसी की गुहार लगा चुके हैं लेकिन स्थिति सामान्य ना होने के कारण कुशीनगर स्थित विभिन्न बौद्ध मॉनेस्ट्रियों में ठहरे हुए हैं.
भोजन के बाद बौद्ध भिक्षु करते हैं विपश्यना
आधुनिक सुख सुविधाओं से सम्पन्न ये विदेशी नागरिक लॉकडाउन के चलते पेड़ों की डालियों पर आशियाना बना कर और अस्थाई तंबुओं में रह कर अपना जीवन काट रहे है. बौद्ध धर्म को मानने वाले इन बौद्ध भिक्षुओं के दिन की शुरुआत भगवान बुद्ध की उपासना से होती है. उसके बाद दोपहर का भोजन करने के बाद ये बौद्ध भिक्षु विपश्यना करते हैं. प्रशासन इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
दरअसल कुशीनगर महात्मा बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली (मृत्य स्थान) होने के नाते यह जगह बौद्ध धर्म में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विश्व विख्यात है. इसके अलावा बौद्ध सर्किट के पांच महत्वपूर्ण स्थलों में कुशीनगर का विशेष स्थान है.
थाईलैंड से आए बौद्ध भिक्षुओं का दल फंसा
इस धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल को देखने के लिए पूरे विश्व से पर्यटक और बौद्ध भिक्षु हर साल लाखों की संख्या में यहां आते हैं. थाईलैंड से भी 139 बौद्ध भिक्षुओं का एक दल बौद्ध सर्किट के भ्रमण पर निकला. इसी बीच कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में यह दल कुशीनगर में फंस गया. इसके अलावा कुशीनगर घूमने आये 36 विदेशी पर्यटक भी लॉकडाउन के चलते अपने वतन नहीं लौट पाये.
यह सभी बौद्ध भिक्षु बौद्ध तीर्थ स्थलों का पैदल भ्रमण करते हुए नेपाल स्थित भगवान बुद्ध के जन्म स्थल लुम्बिनी से आ रहे थे लेकिन इसी बीच लॉकडाउन हो गया जिसके बाद यहां रूकना इनकी मजबूरी हो गई. हालांकि इन विदेशी पर्यटकों और बौद्ध भिक्षुओं को जिला प्रशासन और एलआईयू की तरफ से हर सम्भव मदद करने का प्रयास हो रहा है. जिससे इन्हें किसी प्रकार की परेशानी ना हो.
बौद्ध भिक्षुओं की रहती है अलग दिनचर्या
थाई मंदिर के विपश्यना स्थल पर रहने वाले इन बौद्ध भिक्षुओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी हो चुका है जिसमें ये स्वस्थ पाये गये हैं. इसके बावजूद इन्हें बाहर ना निकलने की हिदायत दी गई है. जिसके चलते यह कुशीनगर के विपश्यना केंद्र में पेड़ों की डालियों के बीच रहने को मजबूर हैं.
बौद्ध धर्म गुरु भंते नन्दरतन कहते हैं कि थाइलैंड व अन्य देशों के यह बौद्ध भिक्षु हर साल नेपाल के लुम्बिनी से पैदल चलकर आते हैं. वनवासी होने के चलते इन बौद्ध भिक्षुओं की एक अलग दिनचर्या होती है. यह एकांतवास में अपना जीवन व्यतीत करते हैं. इसलिए इस लॉकडाउन में भी उनको कोई समस्या नहीं है. भगवान बुद्ध ने जीवन जीने की जो कला बताई है उसी के आधार पर ये विपश्यना करते हैं और सबके कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं. जैसे परमिशन मिलेगी यह अपने देश वापस चले जाएंगे.
सभी बौद्ध भिक्षु हैं स्वस्थ
इस मामले में उपजिलाधिकारी दीपक सिंह ने बताया कि 139 बौद्ध भिक्षुओं का दल कुशीनगर भगवान बुद्ध का दर्शन करने आया था. इसी बीच कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से वह फंस गए हैं. उनको किसी प्रकार की कोई समस्या न हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. उनकी जांच भी हो चुकी है. सभी स्वस्थ हैं. सरकार की तरफ से जैसा निर्देश मिलेगा उस आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी.
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