(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी: दम तोड़ रही स्वास्थ्य विभाग की 'मुखबिर योजना', नहीं लग पा रहा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश
एक अधिकारी के मुताबिक, छापेमारी के बाद संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर या नर्सिंग होम्स के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है. मुखबिर योजना से जुड़ने के लिए हालांकि विभाग की तरफ से इनाम की भी घोषणा की जाती है. लेकिन अभी तक इसके उत्साहजनक परिणाम नहीं मिले हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से 'मुखबिर योजना' की शुरुआत की गई थी, लेकिन वॉलंटियर्स की कमी के कारण यह बहुप्रतिक्षित योजना दम तोड़ती दिखाई दे रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वालंटियर्स यानी मुखबिरों की तलाश की जा रही है, लेकिन सही बात यह है कि अभी तक विभाग के हाथ खाली ही हैं.
एक साल पहले इस योजना की शुरुआत की गई थी करीब एक साल पहले राज्य सरकार की ओर से इस योजना की शुरुआत इस उद्देश्य से की गई थी कि मुखबिरों की मदद से शहर में जिन निजी चिकित्सलायों और नर्सिंग होम में भ्रूण परीक्षण होता मिलेगा, उनकी पहचान की जा सकेगी. लेकिन मुखबिर बनने के लिए अभी तक मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में किसी ने पंजीकरण नहीं कराया है.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "इस योजना के तहत राज्य या केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत व्यक्ति या गर्भवती महिला को मिथ्या ग्राहक या सहायक के तौर पर चुना जाता है. मिथ्या ग्राहक बनने वाली गर्भवती महिला को विभाग में एक शपथ पत्र देना होता है. मुखबिर मिथ्या ग्राहक या सहायक बनने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी से संपर्क किया जा सकता है."
उन्होंने बताया कि मिथ्या ग्राहक शहर में चल रहे उन अल्ट्रासाउंड सेंटरों और नर्सिंग होम्स की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देते हैं, जहां भ्रूण परीक्षण कराया जाता है. मुखबिर की सूचना पर ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम बताए गए पते पर छापा मारती है.
छापेमारी के बाद अल्ट्रासाउंड सेंटर या नर्सिंग होम्स के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है अधिकारी के मुताबिक, छापेमारी के बाद संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर या नर्सिंग होम्स के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है. मुखबिर योजना से जुड़ने के लिए हालांकि विभाग की तरफ से इनाम की भी घोषणा की जाती है. लेकिन अभी तक इसके उत्साहजनक परिणाम नहीं मिले हैं.
की जा रही है मुखबिरों की तालाश विभागीय सूत्रों के अनुसार, मुख्य चिकित्साधिकारी के निर्देश पर मुखबिरों की तालाश हो रही है, ताकि शहर में भ्रूण हत्या को बढ़ावा देने वाले नर्सिंग होम्स और अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की जानकारी मिल सके. इसके लिए योजना में शामिल व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है.
मुखबिरों का पूरा खर्चा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उठाएगा
अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत जुड़ने वाले मुखबिरों का पूरा खर्चा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उठाएगा. लेकिन यदि मुखबिर की खबर गलत हुई तो उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है.
सहायक मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार के मुताबिक, "योजना के तहत अभी मुखबिर नहीं मिल रहे हैं. इसीलिए यह योजना पूरी तरह अमल में नहीं लाई जा सकी है. कन्या भ्रूण हत्या के मामले में पक्की जानकारी नहीं मिल पा रही है. इससे संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है."
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