प्रयागराज: जौहर अली विश्वविद्यालय रामपुर में बिना सर्च वारंट छापा डाले जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से सपा सांसद आजम खान को फिलहाल कोई बड़ी राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने जौहर अली विवि में पुलिस की कार्रवाई पर किसी तरह की रोक नहीं लगायी है. लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस को कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.


एक अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार से मांगी गई जानकारी के क्रम में राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को अदालत में जवाब दाखिल किया गया. लेकिन राज्य सरकार के जवाब से अदालत पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुई. लिहाजा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में विस्तृत हलफनामा मांगा है. हाईकोर्ट ने डीएम और एसएसपी रामपुर को इस कार्रवाई के लिए व्यक्तिगत नोटिस भी जारी किया है.


जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है. याची अधिवक्ता सफदर काजमी का कहना है कि विश्वविद्यालय में पुलिस ने बिना अधिकार के छापा मारा और चोरी की किताबें बरामद करने का दावा किया है. जबकि याची जौहर अली विवि के रजिस्ट्रार का कहना है कि चान्सलर आजम खान से राजनीतिक वैमनस्यता के कारण कार्रवाई की जा रही है.


याची के अधिवक्ता ने पुलिस की इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का खुला उल्लंघन बताया है. इसके जवाब में राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह का कहना है कि पुलिस ने मदरसा आलिया से किताबें चोरी होने की दर्ज एफआईआर की विवेचना के तहत मजिस्ट्रेट के साथ छापा डाला और चोरी का सामान भी बरामद किया है. सारी कार्यवाई क़ानूनी प्राक्रिया के तहत की गयी है.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार व पुलिस को कानून के तहत ही कार्य करने की नसीहत दी है. अपर महाधिवक्ता ने कहा है कि विवेचनाधिकारी को बिना सर्च वारंट के परिसर की तलाशी लेने का अधिकार है और मजिस्ट्रेट की अनुमति से छापेमारी की कार्रवाई की गयी है. याचिका पर चार हफ्ते के बाद अगली सुनवाई होगी.


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