लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के भाई की 400 करोड़ रूपये की संपत्ति ज़ब्त हो गई है. बीएसपी के समर्थक मायावती को बहनजी कहते हैं. आनंद कुमार उनके छोटे भाई हैं. इनकम टैक्स विभाग ने आनंद और उनकी पत्नी विचित्रलता की बेनामी संपत्ति ज़ब्त कर ली है. नोएडा में दोनों का सात एकड़ का प्लॉट है. इस मामले में आनंद को 7 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है. उन पर फ़र्ज़ी कंपनियॉं बना कर करोड़ों रूपये के गोलमाल का आरोप है.


आनंद कुमार हाल में ही बीएसपी के उपाध्यक्ष बनाए गए थे. दो साल पहले भी मायावती ने उन्हें ये ज़िम्मेदारी दी थी. लेकिन कुछ ही दिनों बाद आनंद को उन्होंने इस पद से हटा दिया था. लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बहनजी की मेहरबानी हुई और आनंद बीएसपी में नंबर दो बन गए. उनके बेटे आकाश आनंद पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं. कहा जाता है पिता पुत्र पर्दे के पीछे रह कर पार्टी चलाने में मायावती का हाथ बंटाते हैं. कहते हैं जब मायावती यूपी की सीएम थी, आनंद मिनी सीएम हुआ करते थे. नोएडा, ग़ाज़ियाबाद में वही होता था जो वे चाहते थे. आनंद कुमार की संपत्ति उस वक़्त ज़ब्त की गई है, जब बीएसपी के कुछ सांसदों के पार्टी छोड़ने की बड़ी चर्चा है.


राज्य सभा में बहुमत न होने से मोदी सरकार के कई बिल पास नहीं हो पा रहे हैं. लोकसभा से निकल कर राज्य सभा में अटक जाते हैं. तीन तलाक़ के बिल का यही हाल है. इस बिल पर तो जेडीयू के विरोध करने की भी चर्चा है. राज्य सभा में कुल 245 सांसद होते हैं. पांच सीटें ख़ाली हैं. इस हिसाब से बहुमत के लिए 121 सांसद चाहिए. एनडीए के पास 116 एमपी हैं यानी बहुमत से 5 कम. अब बीजेपी इसी कमी को दूर करने की जुगाड़ में लगी है.


समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर इस्तीफ़ा दे चुके हैं. पार्टी के दो और सांसदों के टूटने की चर्चा है. दोनों पिछड़ी बिरादरी के हैं. बीजेपी के रणनीतिकारों की नजर बीएसपी पर भी है. राज्य सभा में पार्टी के चार सांसद हैं. सतीश चंद्र मिश्र, अशोक सिद्धार्थ, वीर सिंह और राजा राम. ये सभी बीएसपी के पुराने और वफ़ादार नेता रहे हैं. इनमें से कोई भी मायावती का साथ छोड़ दे तो बड़ी हैरानी होगी. लेकिन राजनीति में तो कुछ भी असंभव नहीं है.


कहा जा रहा है कि बीएसपी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए एक नेता को एमपी तोड़ने की ज़िम्मेदारी दी गई है. वैसे कभी मायावती की आंखों के तारे रहे राजाराम बीएसपी में किनारे कर दिए गए हैं. वे दस साल पहले पार्टी के उपाध्यक्ष हुआ करते थे. एक दौर था जब रामाराम को मायावती का उत्तराधिकारी समझा जाता था. कहने के लिए वीर सिंह अब भी बीएसपी में नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं. लेकिन अब उनका वो राजनैतिक क़द नहीं रहा. इन दोनों नेताओं पर बीजेपी ऑपरेशन में जुटी है. कांग्रेस नेता और सांसद पी एवं पुनिया ने भी आरोप लगाया कि आनंद के उपाध्यक्ष बनते ही उनको फंसाया जाने लगा है.


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