कानपुर: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी हासिए पर चल रही है इसकी मुख्य वजह पार्टी के भीतर गुटबाजी और आपसी फूट को माना गया है. यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या सिंधिया गुटबाजी को ख़त्म करने के लिए एक्शन लेने का मन बना लिया है. पार्टी विरोधी गतिविधियों को आलाकमान बर्दाश्त नहीं करेगा. संसदीय क्षेत्रों में संगठन और दावेदारों की समीक्षा कर रहे ऑब्जर्वर के सामने ही कई गुटों के कार्यकर्ताओं के आपस में भिड़ने की खबरें सामने आई हैं. ज्योतिरादित्या सिंधिया ने इस खासी नाराजगी जाहिर की है.


कानपुर बुंदेलखंड की 6 लोकसभा सीटें वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या सिंधिया के पास हैं. जिसमें कानपुर, अकबरपुर, ईटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज,मिश्रिख लोकसभा सीटे शामिल हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला को कानपुर का ऑब्जर्वर बनाया है. राजीव शुक्ला बीते दिनों पार्टी के कार्यो की समीक्षा और टिकट की दावेदारी करने वाले से मुलाकात के लिए आए थे. तभी अलग-अलग गुटों के कार्यकर्ता राजीव शुक्ला के सामने नारेबाजी शुरू कर दी थी. इसके बाद दोनों गुट आपस में भिड़ गए, जब राजीव शुक्ला ने नाराजगी जाहिर की तब मामला शांत हुआ.


कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट का ऑब्जर्वर दातार सिंह को बनाया गया है. दातार सिंह ने अकबरपुर लोकसभा सीट में आने वाली सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाकर पार्टी के कार्यो की समीक्षा की. इसके साथ ही हर एक विधानसभा से लोकसभा सीट की दावेदारी करने वालों से मुलाकात की. दातार सिंह के सामने भी कई गुटों के नेता और कार्यक्रता आपस में भिड़ गए. दातार सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर इतनी ही ऊर्जा आप लोग लोकसभा चुनाव में एक जुट होकर लड़ने में लगाते तो आज प्रदेश और देश में कांग्रेस की सरकार होती.


एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी के भीतर आपसी फूट और गुटबाजी से प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्या सिंधिया नाराज हैं. लेकिन प्रियंका और ज्योतिरादित्या सिंधिया इस गुटबाजी को ख़त्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं. गुटबाजी ख़त्म करने के लिए ज्योतिरादित्या सिंधिया कुछ कठोर एक्शन भी ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि ज्योतिरादित्या सिंधिया का मानना है कि गुटबाजी तो पूरे देश में है लगभग सभी राज्यों में है. लेकिन पहली प्राथमिकता पार्टी है जब पार्टी ही नहीं रहेगी तो किसके लिए काम करोगे. इसलिए सभी कार्यकर्ताओं से उन्होंने अपील भी है कि सभी नेता और कार्यकर्ता मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ें. व्यक्ति विशेष के लिए नही बल्कि पार्टी के लिए एकजुट हों.


कानपुर बुंदेलखंड कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटो में से 4 सीटें कांग्रेस के पास थी. यह चारो वीआईपी सीटे थीं. कानपुर से पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल,फरुखबाद से पूर्व केंद्रीय मंत्रीसलमान खुर्शीद, झांसी से पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य जैन और अकबरपुर से राजाराम पाल थे. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने इनमें से एक भी दिग्गज नेता को जीतने नहीं दिया.