मेरठ: सहारनपुर और रूड़की पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में शराब कांड का मास्टरमाइंड अर्जुन अपने चालक समेत गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने रूड़की से अर्जुन की गिरफ्तारी के साथ एक गोदाम से केमिकल के तीन ड्रम बरामद किये हैं. आइस्ट्रो प्रोफाइल एल्कोहल नाम के केमिकल से शराब बनाकर अर्जुन उत्तराखंड और उत्तर-प्रदेश की सीमा से सटे दो दर्जन से ज्यादा गांवों में सप्लाई करता था.


सहारनपुर पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अर्जुन अपने सहयोगी सुभाष की मदद से केमिकल बेचने वाली दवा कंपनी तक पहुंचा था. 16 हजार रूपये में एक ड्रम केमिकल खरीदकर उसमें दो गुना पानी मिलाया जाता था. इस तरह तैयार शराब रूड़की और सहारनपुर जिलों के सरहदी गांवों में छोटे सप्लायरों के जरिये बेची जाती थी. दोनों राज्यों की पुलिस अब इस शराब सिडींकेट की जड़ें उखाड़ने में जुटी है.


पुलिस के मुताबिक अर्जुन ने रूड़की की दवा कंपनी एसी सेल्यूलॉज प्राइवेट लिमिटेड से यह केमिकल खरीदा था. पुलिस ने निशानदेही पर जो ड्रम बरामद किये हैं उन पर आइस्ट्रो प्रोफाइल एल्कोहल लिखा हुआ है. इस केमिकल से तैयार हुई शराब में से दो ड्रम शराब सहारनपुर के गांगलहेड़ी इलाके के गांव पुंडेन निवासी गुरू साहब सिंह उर्फ लाड्डी और चुन्हेटी शेख गांव के हरदेव को बेचे गये थे. नांगल गांव का टिंकू भी इसी तरह की दो ड्रम शराब खरीदकर ले गया था. गिरफ्तार हो चुके हरदेव ने स्वीकार किया है कि उसने इसी केमिकल से शराब तैयार की थी.


सहारनपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि आइस्ट्रो प्रोफाइल एल्कोहल का इस्तेमाल दवा के कैप्सूल्स पर स्प्रे करने के लिए किया जाता है. इससे कैप्सूल मजबूत हो जाता है और लंबे वक्त तक चलता है. आरोपी अर्जुन शराब के धंधे में आने से पहले दवा कंपनी में काम करता था और उसे इस केमिकल के बारे में जानकारी थी. 2016 में अर्जुन अपने साथियों के साथ अवैध शराब बेचने के मामले में जेल जा चुका है. केमिकल की सप्लाई अर्जुन का ड्राइवर लेकर आया था. वह सहारनपुर के रामपुर मनिहारन इलाके का निवासी है.


ऐसे मिली दवा कंपनी से केमिकल की खेप


आइस्ट्रो प्रोफाइल एल्कोहल खरीदने के लिए अर्जुन ने दवा कंपनी के अफसरों से सांठगांठ कर रखी थी. शुरूआत में कंपनी ने लायसेंस और जीएसटी नंबर न होने के कारण केमिकल बेचने से मना कर दिया. इसके बाद अर्जुन ने रूड़की के गांधीनगर निवासी मनोज कुमार को अपने लायसेंस और जीएसटी नंबर का इस्तेमाल करने के लिए राजी किया. कंपनी ने मनोज कुमार के अभिलेखों के आधार पर ही केमिकल की सप्लाई की थी. दो फरवरी को पहली खेप अर्जुन को मिली जिसके बाद अर्जुन ने 16 हजार रूपये के ड्रम को 28 हजार रूपये में बेच दिया. इस तरह मोटा मुनाफा कमाने के लिए अर्जुन गरीब और बेकसूरों की जिंदगी से खेल गया.