यूपी: मायावती घबराहट में सपा के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं- सपा महासचिव
रमाशंकर विद्यार्थी ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीमो के सपा से गठबंधन तोड़ने के एलान के बाद से दलित समाज तेजी से सपा से जुड़ रहा है. दलित समाज अखिलेश जी में विश्वास करने लगा है, इससे बसपा सुप्रीमो घबरा गई हैं.

बलिया: महागठबंधन को तोड़कर सभी चुनाव अकेले लड़ने के बसपा प्रमुख के बयान पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव रमाशंकर विद्यार्थी ने मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि बसपा प्रमुख घबराहट में सपा के विरुद्ध बयानबाजी कर रही हैं.
उन्होंने सोमवार को कहा, ‘‘बसपा सुप्रीमो मायावती घबराहट में सपा के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं.’’
उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘बसपा सुप्रीमो के सपा से गठबंधन तोड़ने के एलान के बाद से दलित समाज तेजी से सपा से जुड़ रहा है. दलित समाज अखिलेश जी में विश्वास करने लगा है, इससे बसपा सुप्रीमो घबरा गई हैं.’’
बसपा सुप्रीमो के सपा पर आरोप लगाने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जनता इस सच्चाई से वाकिफ है कि गठबंधन की मालकिन ने क्या किया है.
सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि अगर मायावती अलग लड़ना चाहती हैं तो उससे हमें कोई एतराज नहीं है. चुनाव के आंकड़ें बताते हैं कि किस फायदा हुआ है और किसे नुकसान हुआ है और पिछली बार क्या हाल रहा था. उन्होंने कहा कि पहले भी हम अकेले लड़ते थे, आगे भी अकेले लड़ेंगे.
मायावती ने क्या कहा लोकसभा चुनाव 2019 और उससे पहले संसदीय सीटों पर हुए उपचुनावों के लिए सपा के साथ किए गए गठबंधन से नाता तोड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि भविष्य में पार्टी सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी.
बता दें कि आम चुनावों का परिणाम आने के बाद मायावती ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव अकेले लड़ने की बात कही थी, लेकिन आज के बयान ने महागठबंधन को लगभग समाप्त ही कर दिया है.
मायावती ने ट्वीट किया है कि जगाजाहिर है कि हमने सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवे भुला दिए, यहां तक कि 2012-2017 तक सपा सरकार में किए गए बसपा एवं दलित विरोधी फैसलों, पदोन्नति में आरक्षण की राह में रोड़े अटकाना और खराब कानून-व्यवस्था को भी हमने दरकिनार कर दिया. सबकुछ भुला कर हमने देश और जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी निष्ठा के साथ निभाया.
उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भविष्य में भाजपा को हरा पाना संभव होगा? हमारे हिसाब से तो संभव नहीं होगा.
उन्होंने लिखा है, ‘‘इसलिए हमने पार्टी और आंदोलन के हित में फैसला लिया है कि बसपा भविष्य में होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी.’’
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