नई दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. मायावती ने अपने एक ट्वीट में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों को निशाने पर लिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''सत्ताधरी बीजेपी का कांग्रेस पार्टी पर आरोप कि उसका गरीबी हटाओ-2 का नारा चुनावी धोखा है यह सच है परन्तु क्या चुनावी धोखा व वादाखिलाफी का अधिकार केवल बीजेपी के पास ही है? गरीबों, मजदूरों, किसानों आदि के हितों की उपेक्षा के मामले में दोनों ही पार्टियाँ एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं."


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इससे पहले बसपा मुखिया ने भाजपा सरकार पर नोटबंदी को लेकर हमला बोला था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि इससे पहले अपरिपक्व तरीके से थोपी गई नोटबन्दी की आर्थिक इमरजेन्सी का कुप्रभाव भले ही धन्नासेठों पर न पड़ा हो किन्तु ग्रामीण भारत पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव जारी है. कामगार बेरोजगार होकर गांव वापस लौटने व मजदूरी करके गुजर-बसर करने पर मजबूर हैं, आंकड़े गवाह हैं. क्या बीजेपी माफी मांगेगी?


बता दें कि राहुल गांधी ने न्यूनतम आय योजना 'न्याय' का एलान किया था. इस योजना में पांच करोड़ गरीब परिवारों में सालाना 72,000 करोड़ देने का वादा किया है. राहुल गांधी के इस चुनावी वादे पर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल जहां इसे मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे वोट के लिए कांग्रेस का झूठ कह रही है.


राहुल ने वादा किया है कि कांग्रेस सत्ता में आयी तो देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को सरकार सालाना 72 हजार रुपये नगद देगी. 12 हजार रुपये महीने से कम आमदनी वाले करीब 25 करोड़ लोगों को इसका फायदा होगा. राहुल गांधी के इस ऐलान को मोदी सरकार की ओर से किसानों के दी जा रही है किसान सम्मान निधि के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. जिसके तहत किसानों को सालाना 6 हजार रुपये दिए जा रहे हैं.


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चुनावी मौसम में न्याय योजना के बाद राहुल गांधी ने एक और वादे का मास्टरस्ट्रोक चला है. इस बार राहुल ने युवाओं को साधा है, राहुल ने राजस्थान के जयपुर में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि युवा बिना किसी कागजी कार्रवाई के बिजनेस शुरू कर सकते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में अभी बिजनेस शुरू करने के लिए तमाम तरह की परमीशन की जरूरत होती है.