नई दिल्ली: राफेल डील पर सरकार और विपक्ष के बीच तनी हुई है. राफेल को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर होते दिख रहा है. इसी कड़ी में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अंग्रेजी अख़बार द हिन्दू में छपी खबर को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशान साधा है.


मायावती ने ट्वीट किया है, ''केन्द्र सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे में एंटी करप्शन क्लॉज (भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान) को समाप्त कर दिया था- द हिन्दू अंग्रेजी अख़बार का राफेल में आज का नया विस्तृत रहस्योदघाटन फिर भी नो प्राब्लम. बीजेपी व आरएसएस वालों के लिये चौकीदार का महत्व है उसकी ईमानदारी का नहीं.''


एक और ट्वीट में उन्होंने कहा, ''भ्रष्टाचार-मुक्ति, ईमानदारी, देशहित व राष्ट्रीय सुरक्षा सब कुछ चौकीदार पर न्योछावर. अब चुनाव के समय चौकीदार सरकारी ख़र्चे पर देश भर में घूम-घूम कर सफाई दे रहें है कि वह बेईमान नहीं है बल्कि ईमानदार हैं. देश को सोचना है कि ऐसे चौकीदार का आख़िर क्या किया जाये?


बता दें कि राफेड डील को लेकर अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने खबर छापी है कि 'डील के दौरान एंटी करप्शन क्लॉज को हटा दिया गया था'. खबर सामने आने के बाद एक बार फिर विपक्ष नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो गया है. इससे पहले भी अखबार ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें इस डील को लेकर सवाल उठाए गए थे.


अखबार की पिछली रिपोर्ट में कहा गया था कि डील के लिए रक्षा मंत्रालय फ्रांस सरकार से डील कर रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दखल दिया जिससे फ्रांस को फायदा मिला. पीएमओ की दखल का रक्षा मंत्रालय ने विरोध किया था. उसके बावजूद फ्रांस से राफेल डील हुई.


अखबरा में खबर छपने के बाद राहुल गांधी ने कहा था, ''ओलांद ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बोला था कि अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये का अनुबंध दिया जाए. अब रक्षा मंत्रालय कह रहा है कि प्रधानमंत्री ने समानांतर बात की और हमारी स्थिति कमजोर की. इस पर प्रधानमंत्री जवाब दें.''


राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी. साथ ही इस सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने पेश किए गये दस्तावेज बताते हैं कि केंद्र सरकार ने राफेल लड़ाकू जेट के मूल्य निर्धारण ब्योरे से संसद को अवगत नहीं कराया, लेकिन उसने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के सामने इसका खुलासा किया शीर्ष अदालत ने कहा कि कैग रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) परख भी चुकी है.