संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में कई बंदरों की मौत निमोनिया की वजह से हुई थी. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. संभल के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी(सीवीओ) डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान(आईवीआरआई) में हुए पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि बंदरों की मौत निमोनिया से हुई. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में 19 बंदरों की मौत बताई जा रही है, लेकिन डॉ. विनोद ने सिर्फ सात बंदरों की मौत की बात कही है.


संभल जिले के पवांसा इलाके में पिछले एक हफ्ते से बंदरों के बीमार होने और मरने का सिलसिला जारी है. यहां मंदिर के आसपास काफी संख्या में बंदर रहते हैं. बंदरों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ तो पशु चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया.


छह अप्रैल को बंदरों को पोस्टमार्टम के लिए देश के सबसे बड़े संस्थान बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के सेंटर फॉर एनिमल डिजीज रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक भेजा गया. पोस्टमार्टम के बाद आईवीआरआई ने संभल के पशु चिकित्सा विभाग को रिपोर्ट भेज दी. जिसके मुताबिक बंदरों की मौत निमोनिया की वजह से हुई थी.


आईवीआरआई के एक प्रधान वैज्ञानिक ने कहा, "बंदरों के बाएं फेफड़े में निमोनिया के लक्षण मिले. सांस नली में रक्तरंजित स्राव मिला. किडनी और लीवर में समस्या पाई गई. बैक्टीरियल इंफेक्शन की भी आशंका है."


संभल के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी(सीवीओ) डॉ. विनोद कुमार ने कहा, "अब तक सात बंदरों की मौत हुई है. स्थानीय मीडिया गलत संख्या पेश कर रहा है. आईवीआरआई से आई रिपोर्ट के मुताबिक, बंदरों की मौत निमोनिया से हुई. अब हमारा फोकस दूसरे बंदरों को बचाने पर है."


डॉ. विनोद ने बताया कि बंदरों की मौत की घटना के बाद से पशु चिकित्सा विभाग की टीम सक्रिय हो गई है. वन विभाग भी इस काम में लगा है. दूसरे बंदरों को बचाने के लिए उनका इलाज किया जा रहा है. बंदरों को केले में टेबलेट दी जा रही है. हालांकि कुछ बंदर केले से टेबलेट निकालकर फेंक देते हैं. ऐसे में हम टेबलेट को पीसकर केले में मिला रहे हैं, ताकि अन्य बंदर निमोनिया के प्रभाव से बच सकें.


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