(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी: हरदोई में नरेश अग्रवाल ने किया स्वीकार, कहा- 'हमने डंके की चोट पर बांटी थी शराब'
बता दें कि नरेश अग्रवाल ने मायावती की तुलना होलिका और अखिलेश को 'कल का लड़का' करार देते हुए कहा था कि होलिका दहन की शुरूआत हरदोई से हुई थी, तब भी बुआ जली थी और अब चुनावी माहौल में बुआ-बबुआ की बारी है.
नई दिल्ली: अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मझिला गांव में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए खुलकर मंच से शराब बाटने की बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि एक विधायक अंशुल वर्मा ने मेरे खिलाफ लेटर लिखा अब वो राजनीति में समाप्त हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने पासी समाज को शराब बांटी है. हां मैं डंके की चोट पर कहता हूं कि मैंने शराब बांटी, जहर तो नहीं बाटा था. मैं कहता हूं एक भी पासी को शराब बनाते हुए मैं पकड़ने नहीं देता हूं, यह उनका कुटीर उद्योग है. उन्हें मजा आता है तो हमे भी मजा आता है.
नरेश अग्रवाल यहीं नहीं रुके उन्होंने चुनावी सभा में लोगों को दरोगा का डर दिखाते हुए कहा कि तीन साल से बीजेपी की ही सरकार है. उन्होंने लोगों से कहा कि चलती गाड़ी पर ही बैठना चाहिए. अगर दरोगाजी पकड़ लिए और आप मदद मांगने के लिए विपक्ष के पास गए तो वो कहेंगे तीन साल रुको फिर दरोगा को देख लेंगे. तब तक दरोगा इंपेक्टर बन जायेगा और आप के हाथ पैर तोड़ दिए जाएंगे. अगर मेरे पास आये तो... उन्होंने आगे कहा कि जो समझा वो समझदार और जो न समझा वो अनाड़ी.
बता दें कि उन्होंने गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा था कि गठबंधन का हाल टिटहरी चिड़िया की तरह है जो पैर ऊपर करके सोचती है कि आकाश गिरा तो वह रोक लेगी. वैसा ही हाल बिना नेता चुने 22 दलों के गठबंधन का है जो पीएम नरेंद्र मोदी को रोकने का ख्वाब देख रहा है. उन्होंने कहा कि गठबंधन तो पति पत्नी के बीच होता है- भाई बहन और बुआ के बीच कैसा गठबंधन.
राजनीति में कई नावों की सवारी कर चुके हैं नरेश अग्रवाल नरेश अग्रवाल नें अपनी राजनीतिक पारी 1980 में कांग्रेस से शुरु की थी. इसके बाद दल बदलने का और जिसकी सत्ता हो उसके करीब रहने का इतिहास रहा है. कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई और बीजेपी की कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री बने थे.
2002 में मुलायम सिंह की सरकार में शामिल हुए और फिर मुलायम की सत्ता जाते ही बीएसपी का दामन थाम लिया था. 2007 में चुनाव सपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा लेकिन मायावती की सरकार आते ही वो बीएसपी में शामिल हो गए. 2012 में सपा की अखिलेश सरकार के आते ही वो वापस सपा मे आए और राज्यसभा पहुंच गए. अब सपा की सरकार 2017 में चली गई और राज्यसभा नहीं मिला तो बीजेपी में शामिल हुए. यूपी: बीजेपी ने 7 और उम्मीदवार घोषित किए, गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे रवि किशन बीजेपी ने जूताकांड से विवादों में आए शरद त्रिपाठी का टिकट कटा मथुरा वालों, हेमा को बड़ी जीत नहीं मिली तो पानी की टंकी पर चढ़ जाउंगा- धर्मेंद्र गोरखपुर से टिकट पाने वाले अभिनेता रविकिशन के बारे में जानें कुछ रोचक बातें पीलीभीत: बीजेपी उम्मीदवार वरुण गांधी का विवादित बयान