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यूपी: स्वतंत्रदेव सिंह ने कानपुर से की थी अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत, संघर्षो से भरा रहा है छात्र राजनीति से प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर

मूलरूप से मिर्जापुर के रहने वाले स्वतंत्रदेव सिंह ने इंटर से लेकर स्नातक की पढाई जालौन में की है. वो अपने बड़े भाई के साथ जालौन में रहते थे. स्वतंत्रदेव सिंह स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति करने लगे थे. स्नातक करने के बाद वो 1986 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे.

कानपुर: भारतीय जनता पार्टी ने स्वतंत्रदेव सिंह को उत्तर प्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. छात्र जीवन से ही उनमें नेतृत्व करने की गजब की क्षमता थी. स्वतंत्रदेव सिंह का राजनीतिक सफर संघर्षो से भरा रहा, उन्होंने बिना थके दिनरात संगठन के लिए काम किया और छात्रसंघ से लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का सफर तय किया. स्वतंत्रदेव सिंह ने राजनीति की शुरूआत कानपुर से की थी. कानपुर में ही उन्होंने राजनीति का हुनर सीखा था.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. अब स्वतंत्रदेव सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2022 के विधानसभा चुनाव हैं. नए प्रदेश अध्यक्ष कानपुर बुंदेलखंड के बहुत लोकप्रिय नेता है. इसके साथ ही उनकी पूर्वी और पश्चिमी प्रदेश में भी अच्छी पकड़ है. उनकी गिनती बड़े रणनीतिकारों में होती है. 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के पीछे उनका अहम योगदान था.

मूलरूप से मिर्जापुर के रहने वाले स्वतंत्रदेव सिंह ने इंटर से लेकर स्नातक की पढाई जालौन में की है. वो अपने बड़े भाई के साथ जालौन में रहते थे. स्वतंत्रदेव सिंह स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति करने लगे थे. स्नातक करने के बाद वो 1986 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे.

स्वतंत्रदेव सिंह ने 1988 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री के रूप में काम किया. उस दौरान कानपुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कर हब हुआ करता था. संगठन मंत्री होते हुए उन्होंने छात्रों और नौजवानों के राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रसार प्रचार किया. छात्रों के बीच वो एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे.

स्वतंत्रदेव सिंह के कार्यो के देखते हुए संगठन ने 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का कानपुर प्रभारी बनाकर नई जिम्मेदारी सौपी थी. इसके बाद संगठन ने 1994 में उन्हें कानपुर बुंदेलखंड का प्रभारी बना दिया. स्वतंत्रदेव सिंह का बुंदेलखंड से पुराना नाता रहा था. इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने बड़ी संख्या में युवा कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर दी. कुछ वर्षो में भाजयुमो का कानपुर बुंदेलखंड में डंका बजने लगा. 1996 से 1998 तक युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री का पद संभाला.

स्वतंत्रदेव सिंह के कुशल नेतृत्व को देखते संगठन ने 2001 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष की बना दिया था. स्वतंत्रदेव सिहं जब भाजयुमो के प्रदेश बने तो बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की कमेटियों का गठन किया था. 2004 में उन्हें विधान परिषद का सदस्य चुना गया और भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश महामंत्री भी बनाया गया. 2010 से 2012 तक प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर कार्य किया.

संगठन ने स्वतंत्रदेव सिंह को 2012 मे फिर से प्रदेश महामंत्री का पद सौंपा. इस पद पर रहते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बेहतर रणनीतिकार की भूमिका अदा थी. 2014 के लोकसभा चुनाव मे वो प्रधानमंत्री की होनी वाली रैलियों के प्रभारी थे. स्वतंत्रदेव सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से कानपुर बुंदेलखंड के कार्यकर्ताओ में खुशी का माहौल है. कार्यकर्ता मिठाई बांटकर खुशियां मना रहे हैं.

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