नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों के परिणाम एक दिसंबर को आने वाले हैं. यूपी में इन दिनों सियासी पारा गरम है और लोग केवल इसी बात की चर्चा कर रहे हैं कि आखिर इन चुनावों में बाजी किस पार्टी के हाथ में रहने वाली है. हर शहर के हर चौराहे पर, हर नुक्कड़ पर चर्चा इसी बात की है, सोशल मीडिया में बातें भी इसी मुद्दे पर हो रही हैं और मीडिया की सुर्खियां भी चुनावी खबरें बनी हुई हैं.


परिणाम बताएंगे कि क्या है जनता का मूड


यूपी के इन चुनावों के लिए सपा, बसपा, कांग्रेस, आप और भाजपा सभी ने भरपूर जोर लगाया. नतीजे ज्यादा दूर नहीं है और जल्द ही पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है. परिणाम बहुत हद तक साफ कर देंगे कि जनता का मूड क्या है? नोटबंदी, जीएसटी को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही बीजेपी कहां रहेगी ये भी देखने वाली बात होगी और साथ ही निगाहें इस पर भी रहेंगी कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस कहां रहने वाली हैं. सपा, बसपा जो कभी इस मैदान के सबसे बड़े लड़ैया के तौर पर पहचाने जाते थे उनकी पोजीशन भी गौरतलब रहेगी.


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योगी सरकार के कामों पर लगेगी मुहर?


विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के हाथ में सत्ता सौंपी थीं. योगी आदित्यनाथ तभी से लगातार चर्चा में बने हुए हैं. उनका दावा है कि विकास बहुत हुआ है लेकिन विरोधियों का आरोप है कि सिर्फ रंग भगवा हुआ है. गाड़ी की सीटों से लेकर सरकारी बसों और ऑफिसों तक को भगवा रंग से रंग दिया गया है. योगी का दावा है कि अपराधी दूसरे प्रदेशों की जेलों में पनाह ले रहे हैं लेकिन रोजाना जारी होने वाले अपराध के आंकडे कुछ और कहानी कह रहे हैं. देखना होगा कि जनता योगी आदित्यनाथ पर भरोसा दिखाएगी? उनके कामों पर मुहर लगाएगी? या फिर निकाय चुनावों के परिणामों की कहानी कुछ और रंग लाएगी?



मोदी सरकार के तीन साल कसौटी पर?


कसौटी पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल भी हैं. देश ने बहुत उम्मीदों के साथ बागडोर उन्हें दी थी. अब तीन साल के बाद विरोधी इस सरकार को सूट-बूट की सरकार बता रहे हैं और पीएम खुद को प्रधानसेवक. तीन साल के बाद विपक्ष गले मिलने की नीति पर सवाल उठा रहा है तो सरकार हर सवाल का तोड़ और प्रतिप्रश्न भी उठा रही है. बीजेपी, कांग्रेस मुक्त भारत चाह रही है तो कांग्रेस, बीजेपी विरोधियों को एक करना चाह रही है. गौरक्षा से लेकर लव जेहाद तक पर सवाल हो रहे हैं और जनता इंतजार करती है पहले वोटिंग की तारीखों का और फिर नतीजों का. इस बार भी देखना ये होगा कि क्या जनता ने मोदी सरकार के तीन सालों पर मुहर लगाई है?


गुजरात चुनावों पर भी हो सकता है असर


एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या यूपी के निकाय चुनाव परिणामों का असर गुजरात के चुनावों पर पड़ेगा? राजनीति के जानकार मानते हैं कि एक चुनाव के परिणाम, दूसरे चुनाव को प्रभावित करते ही हैं. अगर बीजेपी यूपी के निकाय चुनाव में जीत दर्ज कराती है तो गुजरात चुनावों में उसे इस बात का फायदा मिल सकता है. लेकिन अगर बाजी उसके हाथ नहीं आई तो गुजरात चुनावों के नतीजों पर भी फर्क पड़ सकता है. शायद यही कारण है कि बीजेपी के तमाम कद्दावर नेता गुजरात में पसीना बहा रहे हैं और योगी सरकार के मंत्रियों ने भी निकाय चुनाव के लिए जम कर पसीना बहाया है.


देश भर की निगाहें परिणामों पर टिकीं


हिमाचल प्रदेश के नतीजे भी ज्यादा दूर नहीं हैं और गुजरात में भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है, ऐसे में यूपी पर सभी की निगाहें हैं कि यूपी के पिटारे से आखिर क्या निकलने वाला है. देश भर की मीडिया, सोशल मीडिया और राजनीतिक चिंतकों के बीच इसी बात पर चर्चा हो रही है कि आखिर कौन होगा विजेता? यूपी के निकाय चुनावों के परिणाम क्या रंग दिखाएंगे?