राष्ट्रीय किसान अधिवेशन: निषाद-यादव समाज पर रहा पीएम मोदी का फोकस, भाजपा को पहले महंगी पड़ चुकी है अनदेखी
कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में जात-पात की राजनीति को जिसने भी दरकिनार किया, वो चारों खाने चित भी हो गया. यही वजह है कि जब गोरखपुर से लगातार पांच बार से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो उनकी सीट पर हुए उप-चुनाव में जात-पात की राजनीति का आकलन करने में हुई चूक का भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा.
गोरखपुर: भाजपा के राष्ट्रीय किसान अधिवेशन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों और पूर्वांचलवासियों के लिए खूब धनवर्षा की. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले की तरह उन्होंने इस बार 56 इंच सीना तो नहीं दिखाया. लेकिन, साफ-सुथरे 56 मिनट के भाषण में उन्होंने निषाद-यादव समाज को भी अप्रत्यक्ष रूप से सौगात देकर लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने सरकार बनने पर फर्टिलाइजर और शुगर मिल को शुरू करने का जो वादा किया था उसे पूरा भी किया. साल 2016 में उनकी फर्टिलाजर में सभा हुई और उन्होंने फर्टिलाइजर को फिर से शुरू करने की आधारशिला भी रख दी. पूर्वांचल में विकास की लहर पैदा कर उन्होंने किसानों और नौजवानों का दिल तो जीत लिया. लेकिन, कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में जात-पात की राजनीति को जिसने भी दरकिनार किया, वो चारों खाने चित भी हो गया.
यही वजह है कि जब गोरखपुर से लगातार पांच बार से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो उनकी सीट पर हुए उप-चुनाव में जात-पात की राजनीति का आकलन करने में हुई चूक का भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा. जिस सीट को मंदिर और योगी की गारंटी वाली सीट माना जाता था, वो सीट भाजपा के हाथ से निकल गई. जात-पात की राजनीति के चक्रव्यूह में फंसी भाजपा के प्रत्याशी उपेन्द्र दत्त शुक्ल को सपा प्रत्याशी और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद के मास्टर स्ट्रोक के आगे सरेंडर करना पड़ा.
निषाद वोट को हल्के में लेना भाजपा को महंगा पड़ गया. यही वजह है कि इस बार अप्रत्यक्ष रूप से ही सही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी जोर देकर निषाद और यादव समाज के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि किसानों का पैसा बिचौलिए के हाथ में जाने नहीं देंगे.
उनका पैसा सीधे उनके खाते में जाएगा. उन्होंने कहा कि "पशुपालन और मछलीपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड नहीं होने पर भी दो लाख रूपए का ऋण मिलेगा. उन्होंने कहा कि दूध और मछलीपालन का व्यापार करने वालों को ऋण के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा."
"देश आजाद हुआ तो आदिवासियों के लिए कोई अलग मंत्रालय नहीं था. अब हमारी सरकार आई है. माछी मार समाज के लोगों के लिए मंत्रालय बनाया जा रहा है." कर्ज की सीमा 1 लाख से बढ़ा कर 5 लाख कर दी गई हैं.
"पशुपालकों और दूध व्यापारियों के लिए खुशी का दिन हैं. उनके लिए डेयरी योजना का उद्घाटन आज किया गया है. राष्ट्रीय गोकुल आयोग को राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का विस्तार दिया गया है."
पीएम मोदी ने कहा किसान सरकार को बिजली बेचकर भी कमाई करेगा. सोलरपम्प लगाने की भी योजना है. किसान अन्नदाता के साथ उर्जादाता भी बनने जा रहा है. सरकार ने जंगल में रहने वाले लोगों के कानून में भी बदलाव किया है. बांस को अब खेत मे लगा सकते हैं. पहले ऐसा नहीं था. गोरखपुर एम्स का ओपीडी भवन भी शुरू हो जाएगा.
पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिल का लोकार्पण हुआ है. वाल्मीकिनगर के लिए इलेक्ट्रिक ट्रेन चलनी शुरू हो जायेगी. 9000 हजार करोड़ रुपये योजना के शिलान्यास से घर-घर में पाइपलाइन से गैस पहुंचेगी. "कोई किसी भी जाति, वर्ग और संप्रदाय का हो सरकार की योजना का लाभ सभी को मिलेगा." अब नाम कटाने के फर्जीवाड़े नहीं चलेंगे.
सर्वे बता रहे हैं कि विश्व में आर्थिक और अन्य मोर्चों पर मजबूत हो रहा है. ये सब आप लोगों की वजह से हुआ जो 2014 में आपने भाजपा की सरकार बनाकर आपने हमें ऐसी ताकत दी. इस बार भी आपको आशीर्वाद देकर भाजपा की सरकार बनानी है.
अप्रत्यक्ष रूप से ही सही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में उपचुनाव में हाथ से निकल के सीट को साधने की कोशिश की. मच्छीमार समाज, पशु पालन और दूध का व्यापार करने वालों को दी गई सौगात क्या भाजपा के वोट बैंक को फिर से मोड़ पाती है. ये तो लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा.