लखनऊ : यूपी में मोदी 'लहर' में बीएसपी की हाथी का ऐसा हाल हुआ कि अब मायावती को राज्य सभा में बने रहने के लाले पड़ गए है. अगले साल बहिनजी के सांसद का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है और उनके पास सिर्फ 19 विधायक बचे रह गए है. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उनका भविष्य क्या होगा ?
कैसे आगे बढ़ाएंगी और अपने संगठन के लिए क्या कदम उठाएंगी ?
वो अपनी राजनीति को कैसे आगे बढ़ाएंगी और अपने संगठन के लिए क्या कदम उठाएंगी ? यूपी चुनाव हारने के बाद जब शनिवार को बहिनजी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई तो उनके चेहरे पर सिर्फ गुस्सा ही गुस्सा था. कल तक दूसरों की किस्मत बनाने औए बिगाड़ने वाली मायावती को अब तो अपनी चिंता है. 2012 में यूपी चुनाव हारने के बाद वे राज्य सभा चली गयी थी.
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चुनाव में ऐसी नाक कटी कि अब तो ये रास्ता भी बही बचा
इस बार के विधान सभा चुनाव में ऐसी नाक कटी कि अब तो ये रास्ता भी बही बचा. बीएसपी के इस बार सिर्फ 19 विधायक चुने गए है. अगले साल मायावती के राज्य सभा का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है. राज्यसभा सांसद छह साल के लिए चुने जाते है. पार्टी के एमएलए वोट कर अपना सांसद चुनते है. यूपी से राज्य सभा का मेंबर बनने के लिए कम से कम 31 एमएलए चाहिए.
राज्य सभा जाने के लिए मायावती को 12 और एमएलए के वोट चाहिए
लेकिन, मायावती के पास यह आंकड़ा नहीं है. फिर से राज्य सभा जाने के लिए मायावती को 12 और एमएलए के वोट चाहिए. कांग्रेस के सात विधायक जीते है. अगर इनका साथ भी मिल जाए तो भी पांच और विधायकों की जरुरत पड़ेगी. बहिनजी के पास जितने विधायक है उनकी बदौलत तो वे विधान परिषद् जाने के लायक भी नहीं रही.
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चुनाव का इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है
ऐसे में उनके पास अगले लोक सभा के चुनाव का इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. चुनाव अभी दो साल दूर है. वैसे मायावती चार बार लोकसभा की सांसद रह चुकी है. पिछ्ला चुनाव उन्होंने 2014 में लड़ा था.