यूपी में चुनाव बाद किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं: अमित शाह
वाराणसी: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में बीएसपी या किसी अन्य पार्टी के साथ चुनाव बाद गठबंधन की संभावना से आज इनकार किया और विश्वास जताया कि बीजेपी को ‘‘पूर्ण बहुमत’’ मिलेगा.
सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं करना पार्टी की चुनाव ‘‘रणनीति’’ का हिस्सा
उत्तर प्रदेश में सात चरण के विधानसभा चुनाव के तहत कल चौथे चरण का मतदान होगा. 52 साल के अमित शाह ने यह भी कहा कि बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार घोषित नहीं करना पार्टी की चुनाव ‘‘रणनीति’’ का हिस्सा था.
एक इंटरव्यू के दौरान यह पूछे जाने पर कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी को यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो क्या पार्टी सरकार बनाने के लिए बीएसपी या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करेगी, शाह ने कहा, ‘‘किसी से भी हाथ मिलाने का दूर दूर तक कोई सवाल नहीं उठता.’’
उत्तर प्रदेश में एक त्रिशंकू विधानसभा का अनुमान
शाह की ओर से यह टिप्पणी कुछ चुनावी सर्वेक्षणों और राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा उत्तर प्रदेश में एक त्रिशंकू विधानसभा का अनुमान लगाने की पृष्ठभूमि में आयी है क्योंकि एसपी-कांग्रेस, बीएसपी और बीजेपी का राज्य में एक मजबूत ढांचा और निष्ठावान सामाजिक आधार है.
शाह ने उत्तर प्रदेश में काफी व्यापक प्रचार किया है, वह 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस चुनाव के महत्व को स्वीकार करते हैं लेकिन साथ ही उनका यह भी मानना है कि परिणाम देश के विकास के लिए अधिक महत्वपूर्ण होगा.
एसपी-कांग्रेस गठबंधन और बीएसपी से कड़ा मुकाबला
शाह साल 2014 का प्रदर्शन दोहराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जब बीजेपी को उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से 71 सीटें मिली थीं क्योंकि एसपी-कांग्रेस गठबंधन और मायावती की बीएसपी से कड़ा मुकाबला मिल रहा है. शाह ने उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव और उसका पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए महत्व को लेकर विभिन्न सवालों के जवाब दिये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले इस राज्य में काफी चुनाव प्रचार किया है.
शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में ‘‘पूर्ण बहुमत’’ के साथ अगली सरकार बनाएगी. यद्यपि वह पंजाब के बारे में कोई पूर्वानुमान करने को तैयार नहीं. शाह यह स्वीकार करते हैं कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल..बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था.
उन्होंने कहा, ‘‘गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकारें बनाएंगे. पंजाब में त्रिकोणीय मुकाबला है, इसलिए यह पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है कि कौन जीतेगा.’’
मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने में बीजेपी कोई नुकसान ?
यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने में बीजेपी कोई नुकसान देखती है क्योंकि आखिरी समय में हुए एसपी-कांग्रेस गठबंधन ने वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है जबकि मायावती बीएसपी की इस पद के लिए स्पष्ट पसंद हैं. उन्होंने इसका जवाब ना में दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार घोषित नहीं करना पार्टी की ‘‘रणनीति’’ थी.
उन्होंने इस बारे में कोई ब्योरा देने से इनकार कर दिया कि बीजेपी के जीत दर्ज करने पर क्या गृह मंत्री राजनाथ सिंह जैसे कोई केंद्रीय नेता या राज्य के नेताओं में से किसी को मुख्यमंत्री चुना जाएगा. उन्होंने कहा कि पद के लिए नाम का चयन निर्वाचित विधायकों और बीजेपी संसदीय बोर्ड द्वारा किया जाएगा.
प्रचार में साम्प्रदायिकता का रंग डालने का प्रयास
शाह ने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले राज्य में श्मशान और कब्रिस्तान के लिए भूमि आवंटन के बारे में बात करके प्रचार में साम्प्रदायिकता का रंग डालने का प्रयास किया था.
शाह ने कहा, ‘‘आलोचकों और मीडिया दोनों को आंकड़े देखने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में कब्रिस्तानों पर 1200 करोड़ रूपये खर्च किये गए, वहीं श्मशानों पर उसकी आधी राशि ही खर्च की गई जबकि (हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच) जनसंख्या अनुपात 80.20 है.’’ बीजेपी प्रमुख शाह ने पार्टी के राजनीतिक विरोधियों पर ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति’’ में लिप्त होने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसे मुद्दे उठाने के लिए बीजेपी को साम्प्रदायिक कहा जाता है.
तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त होकर साम्प्रदायिक हैं एसपी
उन्होंने कहा कि बीजेपी जब भी मुद्दा उठाती है तब पार्टी को साम्प्रदायिक कहा जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘वे (एसपी) तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त होकर साम्प्रदायिक हैं. यह मुद्दा गुजरात में क्यों नहीं उठाया जाता (जहां ऐसा कोई भेदभाव नहीं है). निश्चित तौर पर उनकी नीतियों में एक साम्प्रदायिक दृष्टिकोण है.’’ उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहा है. आखिरी चरण आठ मार्च को है.
उत्तर प्रदेश के साथ ही चार अन्य राज्यों-पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर के लिए मतगणना 11 मार्च को होगी. पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव अलग अलग चरणों में हो रहे हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या वर्तमान चुनाव नोटबंदी पर एक जनमतसंग्रह है जिससे लोगों को काफी परेशानी हुई, शाह ने कहा, ‘‘यदि मीडिया या विपक्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम को एक जनमतसंग्रह के तौर पर लेना चाहता है तो बीजेपी को कोई आपत्ति नहीं है, हम इसका स्वागत करेंगे.’’
नोटबंदी उत्तर प्रदेश सरकार का कोई निर्णय नहीं
शाह ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में कई मु्द्दे हैं. नोटबंदी उत्तर प्रदेश सरकार का कोई निर्णय नहीं था. यह केंद्र सरकार का निर्णय है.’’ राजनीतिक पार्टियों के वित्तपोषण के बारे में बात करते हुए उन्होंने संकेत दिया कि बीजेपी एक ‘‘रूपरेखा’’ पर काम कर रही है ताकि जून तक सभी वित्तीय योगदान चेक और डिजिटल तरीके से स्वीकार किये जाएं.
इन मांगों पर कि राजनीतिक पार्टियां आरटीआई के दायरे में हों, शाह ने कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी का केवल वित्तपोषण आरटीआई के दायरे में आना चाहिए, कारों की संख्या आदि अन्य जानकारियां नहीं.
बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन है, बीएसपी या एसपी?
इस सवाल पर कि बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन है, बीएसपी या एसपी? शाह ने कहा, ‘‘पहले दो चरणों में हमारा मुकाबला बीएसपी के साथ था और तीसरे चरण में एसपी के साथ. ये पार्टियां चुनिंदा सीटों पर मुकाबला दे सकती हैं लेकिन बीजेपी की सभी विधानसभा सीटों पर मजबूत मौजूदगी है.’’ शाह ने यह भी विश्वास जताया कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में उन 209 सीटों में से 130 सीट हासिल करेगी जिन पर पहले तीन चरणों में मतदान हुआ है.
अभी तक हुए मतदान के स्वरूप के बारे में मिले फीडबैक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘11 मार्च को दोपहर एक बजे उत्तर प्रदेश में आपको एक :बीजेपी: सरकार दिखेगी. तीन चरणों के बाद, मैं 130 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रहा हूं.’’