इलाहाबाद: यूपी विधानसभा चुनाव में पत्नी और बेटे को पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर इलाहाबाद के बीजेपी सांसद श्यामा चरण गुप्ता ने बगावती तेवर दिखाए हैं. पत्नी और बेटे की खातिर उन्होंने पार्टी छोड़ने या फिर राजनीति से संन्यास लेने की धमकी दी है. सांसद श्यामाचरण ने साफ़ तौर पर कहा है कि पार्टी के इस फैसले से वह असंतुष्ट हैं और उनमे जबरदस्त असंतोष है. उनका कहना है कि जब यूपी के दर्जन भर से ज़्यादा सांसदों के परिवार वालों को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है तो उनकी पत्नी व बेटे को टिकट क्यों नहीं दिया गया.
बीजेपी उम्मीदवारों का कतई प्रचार नहीं
श्यामा चरण ने साफ़ कहा है कि टिकट बंटवारे में उनकी सिफारिश की पूरी तरह अनदेखी की गई, लिहाजा वह ऐसी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों का कतई प्रचार नहीं करेंगे. उनके मुताबिक़ उनका बेटा विदुप अग्रहरि टिकट न मिलने से बेहद दुखी और नाराज़ है और वह एक-दो दिन में कोई बड़ा फैसला ले सकता है. बेटा जो भी फैसला लेगा, वह उसके साथ रहेंगे, क्योंकि उनके लिए पार्टी से ज़्यादा अहमियत परिवार की है. श्यामाचरण के मुताबिक़ फिलहाल उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन बेटे के पार्टी छोड़ने पर वह एक दो दिन बाद इस पर फैसला ले सकते हैं. अगर पार्टी ने अब भी अपना फैसला बदलकर बेटे को टिकट नहीं दिया तो या तो वह बेटे के साथ पार्टी छोड़ सकते हैं या फिर मजबूर होकर घर बैठ जाएंगे और राजनीति से सन्यास ले लेंगे.
15 सांसदों के बेटे-बेटियों या परिवार के सदस्यों को टिकट
इलाहाबाद से बीजेपी के सांसद श्यामाचरण का आरोप है कि पार्टी ने टिकट बंटवारे में उनसे कोई राय नहीं ली. उनकी संसदीय सीट के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों पर भी उनकी नहीं सुनी गई. वह पत्नी जमनोत्री गुप्ता को इलाहाबाद की सिटी साउथ सीट से और बेटे विदुप अग्रहरि को चित्रकूट ज़िले की मानिकपुर सीट से विधानसभा का टिकट दिलाना चाहते थे. उनके मुताबिक़ पत्नी और बेटे की पैरोकारी करने पर पार्टी हाईकमान ने उनसे कहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी सांसद के परिवार वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा, लेकिन लिस्ट आने पर अब तक तकरीबन पंद्रह सांसदों के बेटे-बेटियों व परिवार के दूसरे सदस्यों को टिकट दिया गया है, जबकि उनकी पत्नी व बेटे में से किसी को भी टिकट नहीं दिया गया.
पत्नी व बेटे को टिकट नहीं मिलने से काफी दुखी
श्यामाचरण का सवाल यही है कि जब दूसरे नेताओं के परिवार वालों को टिकट दिया गया तो उनके परिवार से किसी भी सदस्य को मांगने के बावजूद टिकट क्यों नहीं दिया. उनका साफ़ कहना है कि पार्टी ने उन्हें उपेक्षित किया है, उन्हें अपमानित किया है. पत्नी व बेटे को टिकट नहीं मिलने से वह काफी दुखी हैं और खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं. श्यामाचरण का कहना है कि इससे उनमे काफी असंतोष है और वह पूरी तरह असंतुष्ट हैं.
1991 में बीजेपी के टिकट पर लड़े थे लोकसभा का चुनाव
गौरतलब है कि श्यामाचरण गुप्ता 1991 में इलाहाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़े थे. इसके बाद वह इलाहाबाद के मेयर बने. कुछ सालों बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2004 में बांदा से सांसद रहने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें इलाहाबाद सीट से टिकट दे दिया और मोदी लहर में वह सांसद हो गए.