झांसी: बुंदेलखंड देश का वह इलाका है, जिसका जिक्र आते ही सूखा, किसान आत्महत्या, पलायन, बदहाली, बेरोजगारी की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है. लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसी सूखे बुंदेलखंड में कमल खिल गया है. कभी बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रहा यह इलाका अब पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी की झोली में समा गया है.
सभी 19 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने दर्ज की जीत
बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिलों को मिलाकर बनता है. उत्तर प्रदेश के हिस्से के सात जिलों (झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा और कर्बी) (चित्रकूट) में विधानसभा की उन्नीस सीटें आती हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी 19 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र कहते हैं कि उन्हें याद नहीं आता कि कभी किसी राजनीतिक दल ने इस तरह से जीत दर्ज की हो. उन्होंने कहा, "इस इलाके के लोग बड़ा बदलाव चाहते थे. वे एसपी, बीएसपी का शासन देख चुके थे और अब उन्हें इन दलों से उम्मीद नहीं थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर किसी तरह का शक नहीं है, लिहाजा मतदाताओं ने बीजेपी का एकतरफा साथ दिया."
BSP के पाले से छिटककर बीजेपी की ओर चला गया मायावती का वोट बैंक
बीजेपी को मिली बड़ी जीत के पीछे मिश्र का अपना आंकलन है. वह कहते हैं, "यह ऐसा चुनाव रहा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग एकमुश्त बीजेपी के साथ गया है. मायावती का वोट बैंक उनके पाले से छिटककर बीजेपी की ओर चला गया है. एसपी के शासन काल में उनके नेताओं की कारगुजारियों को लेकर बढ़ी खीज के कारण एसपी का वोट भी खिसक गया."
बुंदेलखंड में बीजेपी उम्मीदवारों का प्रचार करने गए मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग का कहना है, "बुंदेलखंड की सभी 19 सीटों पर बीजेपी की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत है. यह विकास की जीत है, साथ ही यह जीत उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो समाज में जातिवाद का विष घोलकर अपना स्वार्थ साधना चाहते हैं."
पिछले विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड के नतीजों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यहां की 19 सीटों में से एसपी-बीएसपी ने छह-छह, कांग्रेस ने चार और बीजेपी ने तीन सीटें जीती थी. लेकिन बाद में दो स्थानों पर हुए उप-चुनाव में दोनों स्थानों पर बीजेपी को पराजय हाथ लगी थी और एसपी की सीट संख्या बढ़कर आठ हो गई थी.
बीजेपी को पूरे बुंदेलखंड में दिलाई जीत
इस क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह का मानना है, "यहां की बड़ी आबादी में एसपी के नेताओं को लेकर एक तरफ नाराजगी थी तो दूसरी ओर उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली पसंद आ रही है. एसपी-बीएसपी के बढ़ते जातिवाद से लोग छुटकारा पाकर विकास की बाट जोह रहे हैं, इन स्थितियों ने बीजेपी को पूरे बुंदेलखंड में जीत दिलाई है."
इस क्षेत्र में हुए बीते पांच विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि 1991 में बीजेपी को यहां से सर्वाधिक 11 सीटें मिली थीं, और उसके बाद से बीजेपी कभी भी दहाई के अंक में नहीं पहुंची. जबकि वर्ष 2002-2007 के चुनाव में बीएसपी ने यहा बढ़त बनाई थी. इस बार पहला मौका है, जब बीजेपी का सभी सीटों पर कब्जा हुआ है.