वाराणसी: यूपी का चुनावी दंगल अपने चरम पर पहुंच चुका है. 8 मार्च को सातवें यानी अंतिम चरण के लिए 7 जिलों की 40 सीटों पर मतदान होना है. अंतिम चरण के लिए जहां बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. इसके लिए हजारों वॉलेंटियर मैदान में उतर चुके हैं और ग्राउंड लेवल पर एसपी-कांग्रेस गठबंधन के लिए कैम्पेनिंग कर रहे हैं. जानें किस तरह हजारों युवा गठबंधन के लिए कर रहे चुनाव प्रचार ?



1 ) चलो काशी !
‘चलो काशी’ अभियान के जरिये प्रधानमंत्री के निराशाजनक शासन के खिलाफ आवाज उठाई जा रही हैं. गठबंधन ने चलो काशी अभियान ऑनलाइन लांच किया है जहां इंटर्न्स जो बनारस में काम करने के इच्छुक हैं और राहुल गाँधी-अखिलेश यादव का समर्थन करते हैं ,वह एक हफ्ते की अवधि के लिए अभियान से जुड़ रहे हैं. इस अभियान से जुड़ने के लिए एक फार्म है जिसमे लोग अपना नाम, मोबाइल नम्बर, अपनी पसंदीदा विधानसभा (जहां वह काम करना चाहते हैं ) और अभियान में दी गयी जिम्मेदारी जैसे नुक्कड़ नाटक, स्ट्रीट थियेटर और वाराणसी डोर-टू-डोर इत्यादि भर सकते हैं.


इनमें से ज्यादातर छात्र विश्वविद्यालय और कॉलेजों के हैं. यह अभियान उन तमाम प्रयासों में से एक है जिसके जरिये युवाओं को जारी चुनाव अभियान का सीधा अनुभव लेने और राजनीति , चुनावी प्रक्रिया का सक्रीय हिस्सा बने. अभी तक सारे देश से 5000 युवा स्वयंसेवक डिजिटली और जमीन पर चलाये जा रहे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.


2) बनारस के चाय वाले!
बनारस में ‘फिर से अखिलेश’ टी शर्ट केवल वालेंटियरों ही नहीं पहन रहे है बल्कि यहाँ के चाय वाले और पान वाले भी इस टी शर्ट को पहन रहे हैं और गठबंधन के सकारात्मक सन्देश को प्रदर्शित करता हुआ ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ कलेक्ट्रोल भी प्रयोग कर रहे हैं. बी एच यू – आई आई टी के वालेंटियर सारे शहर में चाय वालों और तमाम लोगों के पास पहुँच कर गठबंधन के लिए उनका समर्थन जुटा रहे हैं. ऑन ग्राउंड अभियानों के अंतर्गत चाय वालों का एक तीस सैकेंड का वीडिओ ,जिसमे कहा जाता है की ‘मैं बनारस का चाय वाला हूँ और मेरा साथ अखिलेश राहुल के गठबंधन को है’ , रिकार्ड किया जा रहा है है और इसे डिजिटल प्लेटफार्म पर खूब साझा भी किया जा रहा है.



3) फिर से अखिलेश डोर टू डोर
ऐसे समय में जब दूसरी पार्टियाँ चुनावी अभियानों को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही हैं, सपा कांग्रेस गठबंधन के कार्यकर्ता एक सकारात्मक अभियान और सन्देश के साथ घर-घर पहुँच रहे हैं.


प्रत्येक विधानसभा में लगभग 100 वॉलेंटियर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश यादव का सन्देश (एक व्यक्तिगत ख़त) रोजाना लगभग पांच लाख घरों तक पहुंचा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि इसके अलावा स्वयंसेवक अपने साथ गठबंधन की दस प्रमुख प्राथमिकतायें (ए 4 साइज़ के कलेंडर और पाकेट कैलेण्डर के रूप में) लोगों के बीच लेकर जा रहे हैं.
सफ़ेद टी शर्ट पहने ये स्वयंसेवक -जिस पर ‘फिर से अखिलेश’ और ‘यूपी को ये साथ पसंद है - लिखा हुआ है, मुस्कुराते हुए हर घर तक पहुँच रहे हैं.


वॉलेंटियर घर-घर जाकर हाँथ जोड़ते हुए कहते हैं- ‘नमस्ते ! मैं अखिलेश जी के यहाँ से आया हूँ. आपके लिए एक चिट्ठी और कैलेण्डर है. ‘ और फिर गठबंधन की दस प्रमुख प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताते हैं. इस पर लोगों की प्रतिक्रियांए जबर्दस्त होती हैं.


यूपी के चुनावी इतिहास में पहली बार युवा महिला वालेंटियर विशेष रूप से डिजाइन की गयी ‘फिर से अखिलेश ‘ टी शर्ट पहनकर गठबंधन को जिताने के लिए कैम्पेनिंग (चुनाव अभियान ) कर रही है.


उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान हमेशा जाति और धर्म के मुद्दे छाये रहते हैं और माना जाता है कि महिलाएं परिवार के अनुसार मतदान करती हैं. अब समय बदल गया है. युवा महिलाएं राहुल – अखुलेश के ‘फिर से अखिलेश ‘ डोर टू डोर अभियान को वालेंटियर करते हुए उत्तर प्रदेश चुनाव में सक्रीय भूमिका निभा रही हैं.वाराणसी के गाँवों और शहर में आप महिलाओं को घर - घर जाकर गठबंधन के लिए समर्थन जुटाते हुए देख सकते हैं.


4) दर्द-ए-बनारस
वाराणसी में घूमते हुए आप पाएंगे की झूठे वादों और कोई विकास कार्य नहीं किये जाने के कारण लोगों का प्रधानमंत्री से मोहभंग हो गया है. एक हाईप्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद बनारस (प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र ) विकास में बहुत पिछड़ा दीखता है. बीएचयू और आईआईटी बनारस के छात्र .जिन्होंने प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की हालत देखी है , वह साथ मिलकर बनारस के दर्द को सामने ला रहे हैं.


‘दर्द-ए-बनारस’ वाराणसी के स्थानीय लोगों की दुर्दशा और समस्याओं के टेस्टीमोनियल (विवरण ) हैं जिनकी प्रधानमंत्री ने पूरी तरह से उपेक्षा की है. यह सभी वीडिओ काशी में चारो तरफ सभी कैम्पेन रथों / वीडिओ वैन्स में चलाये जा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर यह वीडिओ वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों के भौगोलिक रूप से लक्षित व्हाट्स ग्रुप और फेसबुक पर भी चलाये जा रहे हैं. अब तक दो मिनट के ये वीडिओ 8,86,000 से ज्यादा लोगों तक पहुँच चुके हैं.