वाराणसी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों में एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में भारतीय जनता पार्टी के अच्छे दिनों की परख होगी, वहीं पूर्वांचल में मोदी मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों और सांसदों की साख भी दांव पर होगी. पूर्वांचल में यदि बीजेपी को अच्छे परिणाम नहीं मिले तो चुनाव बाद इन मंत्रियों का कद घटना तय है.


पूर्वांचल के कई मंत्रियों और सांसदों की भी परीक्षा


पूर्वांचल में अंतिम दो चरणों में चार मार्च और आठ मार्च को मतदान होना है. प्रधानमंत्री ने जहां अपनी रैलियों के माध्यम से पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं मोदी मंत्रिमंडल में शामिल पूर्वांचल के कई मंत्रियों और पूर्वांचल के दर्जनभर सांसदों की जमीनी हकीकत की भी परीक्षा होगी.


प्रधानमंत्री मोदी के लिए यूपी से सांसद होने के चलते पूर्वी उत्तर प्रदेश का चुनाव ज्यादा महत्वपूर्ण है. उनके खुद के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विधानसभा की आठ सीटों में से तीन ही बीजेपी के पास हैं. साथ ही पड़ोसी जिलों मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर में पार्टी का कोई विधायक नहीं है. बलिया और चंदौली में भी बीजेपी के पास इस समय एक-एक विधायक ही हैं.


गाजीपुर से सांसद हैं केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा


केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद हैं और यहां अंतिम चरण में वोट पड़ेंगे. उनके क्षेत्र की सात सीटों में से छह पर एसपी का कब्जा है और एक पर कौमी एकता दल का कब्जा है. यहां की मोहम्मदाबाद सीट से माफिया मुख्तार अंसारी के भाई सिब्गतुल्ला अंसारी बीएसपी के उम्मीदवार हैं. सिन्हा पर यह साबित करने की चुनौती है कि भूमिहार बिरादरी के पूर्वांचल के वोटों में न सिर्फ उनकी अच्छी पकड़ व पैठ है, बल्कि मंत्री बनने के बाद बीजेपी का कद यहां बढ़ा है.


हालांकि मिर्जापुर की सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल कोटे से हैं. इस समय न सिर्फ यहां बल्कि पड़ोस के जिले सोनभद्र से भी बीजेपी का कोई विधायक नहीं है. अनुप्रिया पिछड़े वर्ग के वोट बटोरने के लिए प्रयासरत हैं. उन पर पूर्वांचल में बीजेपी गठबंधन की सीटें जितवाने की जिम्मेदारी है. मिर्जापुर में भी आखिरी चरण में वोट डाले जाने हैं. देखना होगा कि अनुप्रिया इस कसौटी पर खरा उतर पाती हैं या नहीं.


पूर्वांचल की सीटों का ख्याल रखते हुए ही महेंद्रनाथ पांडेय को मिली मोदी सरकार में जगह


केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय को पूर्वांचल की सीटों का ख्याल रखते हुए ही मोदी सरकार में जगह मिली है. उनका संसदीय क्षेत्र चंदौली भी इसी चरण में शामिल है और यहां की सिर्फ एक सीट पर बीजेपी का कब्जा है. यहां यदि कमल नहीं खिला तो चुनाव के बाद इनकी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.


कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्र देवरिया से सांसद हैं. मिश्र को बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माना जाता है. इनके संसदीय क्षेत्र की सिर्फ एक सीट ही बीजेपी के पास है. हालांकि कलराज मिश्र पूरे यूपी में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. लेकिन स्वाभाविक है कि देवरिया व आसपास के जिलों में आने वाली विधानसभा की सीटों के नतीजों से कलराज मिश्र की लोकप्रियता को कसौटी पर परखा जाएगा.


गोरखपुर और आसपास के जिलों में BJP सांसद योगी आदित्यनाथ का खासा प्रभाव


बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और गोरखपुर के सांसद आदित्य नाथ योगी और बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान भी पूरे जोरों से प्रचार कर रहे हैं. गोरखपुर और आसपास के जिलों में बीजेपी के सांसद योगी का खासा प्रभाव है, लिहाजा योगी पर गोरखपुर समेत आसपास के लगभग एक दर्जन जिलों में कमल खिलाने की जिम्मेदारी है.


बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, "ऐसा नहीं है. पार्टी सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ रही है. सभी नेता विधानसभा चुनाव में लगे हुए हैं. यह कहना कि चुनाव बाद किसका कद तय होगा, किसका नहीं, यह ठीक नहीं है." उन्होंने कहा, "पिछला विधानसभा चुनाव 2012 में हुआ था. तब पार्टी की स्थिति कुछ और थी. इसके बाद वर्ष 2014 में भी लोकसभा का चुनाव हुआ. पार्टी ने उन इलाकों में भी बेहतर प्रदर्शन किया, जहां उसकी स्थिति ठीक नहीं थी. इस बार भी पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिलने जा रहा है. बीजेपी की सरकार यूपी में बनने जा रही है."