लखनऊ: यूपी का चुनावी दंगल जीतने के लिए प्रचार की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है. सियासत के इस अखाड़े में कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका फैसला 11 मार्च को आएगा, लेकिन इस विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए राजनीतिक धुरंधरों के बीच क्या कुछ नहीं हुआ ? सात चरणों के इस मुकाबले में राजनेताओं ने एक-दूसरे को क्या कुछ नहीं कहा ? मोदी के घनघोर प्रचार से ये दंगल देखते ही देखते मोदी वर्सेज विरोधी हो गया. विकास के दावों पर शुरु हुई ये लड़ाई 7 चरणों में कत्लखाने और बिजली से होते हुए गधे तक पहुंच गई. आज हम आपको बता रहे हैं यूपी चुनाव के सात चरणों में छाए रहे कौन-कौन से मुद्दे ?


विकास के दावों के साथ शुरु हुई यूपी की लड़ाई


यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव की लड़ाई में सियासत के अखाड़े में सबसे पहले राजनीतिक दलों ने विकास के मुद्दे पर अपने-अपने दांव पेंच आजमाए. इसके लिए उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी ने 'काम बोलता है' का सहारा लिया तो बीजेपी ने सबका साथ, सबका विकास की बात कही और बीएसपी ने अपने कार्यकाल में हुए कामों का गिनाया.


कत्लखानों पर राजनीति


यूपी के सियासी अखाड़े में जब विकास के दांव पेंच काम नहीं आए तो बीजेपी ने जानवरों के कत्लखानों को अपना हथियार बनाया और कहा कि जिस दिन यूपी में बीजेपी का सीएम शपथ लेगा उस दिन रात के बारह बजे से पहले सारे कत्लखाने बंद हो जाएंगे. बीजेपी के इन दावों पर पलटवार करते हुए मायावती ने कहा कि अभी तक बीजेपी शासित दूसरे राज्यों में कत्लखाने बंद क्यों नहीं हुए ?


श्मशान-कब्रिस्तान का मुद्दा


विकास और कत्लखानों के बाद यूपी की राजनीति में छाया श्मशान और कब्रिस्तान का मुद्दा और इस मुद्दे को हवा दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने. पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी में अखिलेश सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बहुत भेदभाव किया है.


पीएम ने कहा, "गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. धर्म और जाति के आधार पर बिल्कुल नहीं." पीएम मोदी के इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दलों ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला और कहा कि पीएम इस बयान के बहाने यूपी चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं.


बिजली को लेकर हुआ सबसे बड़ा संघर्ष


2017 के सियासी संग्राम में सबसे बड़ा संघर्ष बिजली को लेकर हुआ. बीजेपी औऱ पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश सरकार के 24 घंटे बिजली देने के दावों पर जमकर चुटकी ली. इसके साथ ही पीएम ने समाजवादी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि रमजान में बिजली मिलती है तो दीवाली में भी मिलनी चाहिए. होली में बिजली मिलती है तो ईद पर भी मिलनी चाहिए. कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.


महिला सुरक्षा बना सियासी मुद्दा


यूपी का चुनावी दंगल धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच चुका था. इसी बीच बीजेपी ने यूपी की समाजवादी सरकार पर गुंडों और माफियाओं की सरकार होने का आरोप लगाते हुए अखिलेश यादव के पांच साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ा है. इसी दौरान इलाहाबाद में सीएम अखिलेश यादव की पत्नी और एसपी सांसद द्वारा दिए गए एक बयान को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अगर यूपी में बीजेपी की सरकार बनीं तो डिंपल यादव को सुरक्षा दी जाएगी.


केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि जिस सरकार में सीएम की पत्नी ही खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हों, वहां दूसरी महिलाएं कितनी सुरक्षित रहती होंगी, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है.


SCAM और कसाब


इसके बाद यूपी की सियासत बीजेपी और पीएम मोदी के कसाब और स्कैम वाले बयान पर पहुंच गई. आपको बता दें कि पीएम ने एक रैली में कहा था कि उत्तर प्रदेश को SCAM से मुक्ति चाहिए. इसके बाद ही सुख चैन आएगा. SCAM का मतलब S से सपा, C से कांग्रेस, A से अखिलेश और M से मायावती. तो वहीं अमित शाह ने कहा कि यूपी को कसाब यानी क से कांग्रेस स से सपा और ब से बसपा से मुक्ति चाहिए.


पीएम मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने स्कैम का एक नया मतलब बताया और कहा कि स्कैम का मतलब एस से सर्विस (सेवा), सी से करेज (साहस), ए से एबिलीटी (योग्यता) और एम से मॉडेस्टी (विनम्रता) है. तो वहीं अखिलेश ने तुरंत पलटवार करते हुए स्कैम पर तंज कस दिया. स्कैम का मतलब बताते हुए अखिलेश ने कहा कि एस से सेव, सी से कंट्री, ए से अमित शाह और एम से मोदी. यानी सेव कंट्री फ्रॉम अमित शाह एंड मोदी.


गधों पर पहुंची सियासी लड़ाई


विकास के दावों से शुरु हुई यूपी की सियासी लड़ाई देखते ही देखते गधों पर पहुंच गई. इसकी शुरुआत यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने गुजरात के गधों पर तंज कसते हुए की तो पीएम मोदी ने इसपर पलटवार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.


पीएम नरेंद्र मोदी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि आप मोदी और बीजेपी पर हमला करो तो समझ सकता हूं, लेकिन अब आप गधे पर हमला कर रहे हो? गधे से भी डर लगने लगा है क्या? पीएम ने कहा मैं गर्व से गधे से प्रेरणा लेता हूं और देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं. सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं. गधा वफादार होता है उसे जो काम दिया जाता है वह पूरा करता है.


किस दल के लिए जीत का दरवाजा खोलेंगे ये सियासी मुद्दे ?


खैर बयानबाजी चाहे जो भी हो लेकिन धीरे-धीरे यूपी का सियासी संग्राम अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. 8 मार्च को सातवें यानी अंतिम चरण का मतदान होना है. अब देखना ये है कि सात चरणों के इस मुकाबले में सियासत के अखाड़े में कौन सा दांव-पेंच किस राजनीतिक दल के लिए जीत का दरवाजा खोलता है और किस के लिए हार का कारण बनता है.