लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कमर कस ली है. यूपी के 403 सीटों में से 401 सीटों पर प्रत्याशियों के ऐलान के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती प्रदेशभर में धुआंधार रैली करने की तैयारी में हैं.


खबरों के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती यूपी में सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कुल साठ रैलियां करेंगी. जिसमें पहली चुनावी रैली मेरठ में होगी जबकि आखिरी चुनावी सभा वाराणसी में होगी.


BSP की चौथी सूची में 101 उम्मीदवार, अबतक कुल 401 कैंडिडेट्स को मिला टिकट


बहुजन समाज पार्टी ने रविवार को अपने 101 उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी. आपको बता दें कि इससे पहले बीएसपी पिछले तीन दिनों से लगातार अपने सौ-सौ उम्मीदवारों की सूची जारी कर रही थी. इसी क्रम में पार्टी द्वारा रविवार को 101 उम्मीदवारों की जारी सूची के बाद बीएसपी ने अब तक 401 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है.


बीएसपी की चौथी सूची में छठे और सातवें चरण का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. खास बात यह है कि आरक्षण की सीट निर्धारित न होने के कारण बीएसपी सोनभद्र जिले की दो सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है. आरक्षण की सीट निर्धारित होने के बाद पार्टी अपने उम्मीदवार घोषित करेगी.


सभी 403 सीटों पर BSP ने तय कर लिये हैं प्रत्याशी


मायावती ने पिछले मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि बीएसपी ने प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिये हैं. उनमें से 87 टिकट दलितों को, 97 टिकट मुसलमानों को और 106 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को दिये गये हैं.


मायावती ने कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बीएसपी पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गो के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह जातिवादी बिल्कुल भी नहीं है. मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है. साल 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक पक्षीय मतदान की वजह से एसपी को प्रचंड बहुमत मिला था.


करीब 125 सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं मुस्लिम मतदाता


प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है और मुस्लिम मतदाता प्रदेश की करीब 125 सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं. दलित-मुस्लिम-ब्राहमण के समीकरण को लेकर चुनाव जीतने की जुगत लगा रही बीएसपी ने मुसलमानों के एकजुट वोट की ताकत को समझते हुए इस कौम के लोगों का चुनाव टिकट वितरण में खास ख्याल रखा है.


मायावती लगभग हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के एकमात्र मजबूत विरोधी के तौर पर पेश करती हैं. इनमें वह मुसलमानों से कहती हैं कि साम्प्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिये मुस्लिम कौम एसपी और कांग्रेस को वोट देकर उसे बेकार करने के बजाय बीएसपी को एकजुट होकर वोट दें.