नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में चमत्कारिक प्रदर्शन के बाद अब राज्य में सरकार बनाने का प्रयास कर रही बीजेपी के लिए बीएसपी की रणनीतिक काट तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो गया है.


BSP से है BJP का असली मुकाबला


बीजेपी सार्वजनिक तौर पर मायावती की बीएसपी को मुकाबले से बाहर भले ही बता रही हो और अपना सीधा मुकाबला एसपी से बता रही हो लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को जमीनी स्तर पर इस बात का एहसास है कि उनका असली मुकाबला बीएसपी से ही है.


बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने दलितों का बीजेपी के प्रति रूझान होने पर जोर देते हुए कहा कि मोदी सरकार दलित, गरीब, कमजोर वर्गो के विकास के लिए काम करती है और लोग इस हकीकत को समझ चुके हैं. इसलिए सभी ने बीजेपी के पक्ष में जनादेश देने का मन बना लिया है. उधर, अपने दलित आधार वाले मतदाताओं को लेकर आश्वस्त बीएसपी अब उंची जातियों, सर्वाधिक पिछड़ी जातियों और मुसलमानों का एक इंद्रधनुष तैयार करने में जुटी है.


BJP की पहली लिस्ट में काफी संख्या में OBC समुदाय के लोगों को टिकट


बीजेपी जहां उत्तरप्रदेश में ओबीसी वर्ग को अधिक से अधिक अपने साथ जोड़ने पर जोर दे रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अपने दलित आधार को मजबूत बनाते हुए सवर्णो पर ध्यान केंद्रित किये हुए है . बीजेपी ने उत्तरप्रदेश के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची में काफी संख्या में ओबीसी समुदाय के लोगों को टिकट दिया है.


बीएसपी सुप्रीमो मायावती हाल ही में अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी हैं जिसमें पार्टी ने 87 दलितों और 97 मुसलमानों को टिकट दिया है . इसके साथ ही 106 ओबीसी और 113 सवर्णो को टिकट दिया गया है. बीएसपी के प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि मंडल के नये अवतार वाले बीजेपी में सवर्णो के लिए कोई जगह नहीं बचा है. सवर्णो के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बीएसपी में है और हम खुले हृदय से उनका स्वागत करते हैं.


मुसलमानों को भी ज्यादा से ज्यादा अपने पाले में लाने पर जोर


बीएसपी मुसलमानों को भी ज्यादा से ज्यादा अपने पाले में लाने पर जोर दे रही है. भदौरिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुसलमान चेत गए हैं और बीएसपी की ओर रूख कर रहे हैं.


बीजेपी उत्तर प्रदेश में सत्ता के 14 सालों के वनवास को समाप्त करने के लिए पूरा जोर लगा रही है और इस दिशा में पिछले वर्ष नवंबर..दिसंबर में राज्य के चार हिस्सों में परिवर्तन यात्राएं निकाली गई जिसके तहत 17,500 किलोमीटर का सफर तय किया गया.


दो जनवरी को लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली को मिलाकर उनकी सात रैलियां हो चुकी हैं जबकि अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी की 15 से अधिक रैलियां और कई बड़े कार्यक्रम हो चुके हैं. बीजेपी ने संगठन का ढांचा भी सामाजिक समीकरण के लिहाज से खड़ा किया है और संगठन को छह हिस्सों में बांट कर सामाजिक समीकरण के आधार पर जिम्मेदारी सौंपी है.