लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नये प्रयोग के आत्मघाती साबित होने के बाद पार्टी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं और एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में एसपी नेतृत्व को पुनर्गठित करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है.


साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में 224 सीटों के साथ सत्ता में पर काबिज हुई एसपी को इस दफा चुनाव में 177 सीटों के नुकसान के साथ अपनी सबसे बुरी हार सहन करनी पड़ी और उसे महज 47 सीटें ही मिलीं. इस करारी पराजय के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. खासकर मुलायम और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव के करीबी नेता अब चाहते हैं कि अखिलेश चुनाव के बाद पार्टी की बागडोर मुलायम के हाथों में सौंपने का अपना वादा पूरा करें.


नेताजी को सौंप देनी चाहिए पार्टी की बागडोर


एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि अखिलेश ने अपनी परीक्षा होने का हवाला देते हुए सिर्फ विधानसभा चुनाव तक ही एसपी की बागडोर सौंपने की बात कही थी. अब चूंकि वह परीक्षा में नाकाम हो चुके हैं, लिहाजा उन्हें पार्टी की बागडोर नेताजी (मुलायम) को सौंप देनी चाहिये.


उन्होंने कहा, ‘‘हमने मंदिर आंदोलन के दौरान बड़ी मुश्किल परिस्थितियों में भी एसपी को आगे बढ़ाया है और हम दोबारा भी ऐसा कर सकते हैं. हम अखिलेश के भविष्य का ख्याल रखने का भी वादा करते हैं. मगर पार्टी को नेताजी के निर्देशन में ही काम करने का मौका दिया जाना चाहिये.’’ मालूम हो कि अखिलेश ने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ कांग्रेस से गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था. उनका सोचना था कि परिवार में हुए झगड़े के बाद जनता में पार्टी की छवि सुधारने में यह गठबंधन मदद करेगा. साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने पाले में एकजुट रखा जा सकेगा.


पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री एसपी नेता मधुकर जेटली ने भी कहा कि एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सम्मान वापस लौटाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘नेताजी का सम्मान वापस लौटाया जाना चाहिये. वह पार्टी के लिये चुनाव प्रचार करना चाहते थे...पिछले छह महीने के दौरान पार्टी में जो कुछ हुआ वह भी पार्टी की हार का एक बड़ा कारण है.’’


तमाम अवरोधों के बावजूद आसानी से चुनाव जीतने में कामयाब रहे शिवपाल 


एसपी के संस्थापक सदस्य पूर्व प्रवक्ता सी. पी. राय ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में जीतने वाले एसपी प्रत्याशियों में से ज्यादातर वे लोग हैं जिन्हें मुलायम और शिवपाल ने टिकट दिये थे. तमाम अवरोधों के बावजूद शिवपाल आसानी से चुनाव जीतने में कामयाब रहे.


राय ने कहा कि जौनपुर में मुलायम की रैली ने पारसनाथ यादव को मुश्किल हालात से निकालकर चुनाव जिताया. इसी से मुलायम की पकड़ का अंदाजा होता है. यह अलग बात है कि लखनउ छावनी सीट पर एसपी संस्थापक की रैली के बावजूद उनकी बहू अपर्णा चुनाव हार गयीं लेकिन यह भी स्थापित तथ्य है कि इस क्षेत्र में एसपी का कोई जनाधार नहीं था.


राय ने समाजवादी परिवार में हुए झगड़े में अखिलेश के पक्षधर रहे पार्टी नेता रामगोपाल यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि रामगोपाल या तो अपनी गलतियों को स्वीकार करें, नहीं तो पार्टी को उनके साथ वही करना चाहिये जो वह दूसरों के साथ किया करते हैं.


पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि किसी भी चुनाव में एसपी की हार होने पर रामगोपाल हारे हुए बूथों का रिकॉर्ड निकलवाकर उन पर तैनात कार्यकर्ताओं को परेशान करते थे. राय ने कहा कि रामगोपाल पर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगता था. चुनाव के नतीजे आने के बाद यह शक और पुख्ता हो गया है. इस बीच, जसवन्तनगर सीट से एक बार फिर चुने गये शिवपाल ने ट्वीट करके कहा है ‘‘हम फिर लड़कर जीतेंगे.’’