लखनऊ: उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के नतीजे आने में महज चंद घंटे बचे हैं, तमाम न्यूज चैनल के एक्जिट पोल ने नतीजों चढ़ी धुंध को हटाने की थोड़ी कोशिश की, एक्जिट पोल के मुताबिक केसरिया झंडा बुलंद होने की पूरे आसार हैं. लेकिन 5 राज्यों की सियासी तस्वीर पूरी तरह नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगी और तब कल्पना की पेंसिल से खींची गई तमाम रेखाएं आंकड़ों के रबड़ से मिट जाएंगी. 5 राज्यों में सबसे ज्यादा निगाह देश की उत्तर प्रदेश के नजीतों पर टिकी हैं. आज आपको उत्तर प्रदेश के बारे में दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं, ध्यान रखिएगा नहीं तो नतीजों के दिन गफलत हो जाएगी.
कई सीटों के नाम हैं मिलते-जुलते
उत्तर प्रदेश की कई विधानसभा के नाम मिलते-जुलते हैं, नतीजे आने भ्रम की स्थिति पैदा ना इसलिए हम आपको उन सीटों के बारे हम आपको सटीक जानकारी दे रहे हैं.
रुदौली-रुधौली
यूपी में रुदौली और रुधौली नाम की दो विधानसभा है. रुदौली विधानसभा फैजाबाद जिले में जबकि बस्ती जिले में रुधौली विधानसभा है. नाम एक जैसे होने पर भ्रम हो सकता है. फैजाबाद की रुदौली सीट पर 2012 में बीजेपी जीत मिली थी जबकि बस्ती की रुधौली विधानसभा में कांग्रेस का कब्जा हुआ था. इस बार भी दोनों की सीटों पर कांटे की टक्कर है.
इटावा-इटवा
इटावा विधानसभा सीट एसपी के गढ़ जिले इटावा में है जबकि सिद्धार्थनगर जिले में इटवा विधानसभा है. दोनों ही सीटों पर 2012 में समाजवादी पार्टी का कब्जा था. विधानसभा अध्यक्ष माताशंकर पाण्डेय इटवा सीट से विधायक हैं, जबकि इटावा सीट से रघुराज सिंह शाक्य एसपी के टिकट पर जीत कर आए थे. इस बार दोनों ही सीटों एसपी को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिल रही है.
अतरौली-अतरौलिया
अतरौली विधानसभा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में है, 2012 में एसपी के विरेश यादव को जीत मिली थी. जबकि अतरौलिया विधानसभा पूर्वांचल के आजमगढ़ में है जहां से एसपी के ही संग्राम यादव विधानसभा पहुंचे थे. बीजेपी के लड़ाई में होने से इस बार दोनों सीटों के परिणाम बदल सकते हैं.
औराई-औरैया
पूर्वांचल के भदोली जिले में है औराई विधानसभा, वहीं औरैया विधानसभा अवध इलाके के औरैया जिले में है. औराई और औरैया दोनों ही सीटों पर 2012 में साइकिल दौड़ी थी. इन दोनों विधानसभा में भ्रम की स्थिति इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि दोनों ही सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं.
रामपुर-रामपुर खास
रामपुर और रामपुर खास दोनों सीटें उत्तर प्रदेश में प्रतिष्ठा की सीट हैं. रामपुर जिले की रामपुर सीटे से समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरा आजम खान जीतते आए हैं, तो रामपुर खास सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास से कांग्रेस के बड़े नेता प्रमोद तिवारी लगातार 9 बार विधानसभा पहुंच कर रिकॉर्ड बना चुके हैं. प्रमोद तिवारी के राज्यसभा जाने के बाद ये सीट उनकी बेटी आराधना ने जीती थीं लेकिन इस बार आराधना मिश्रा पर पिता की विरासत संभालने के साथ-साथ कांग्रेस का ये गढ़ बचाने की भी चुनैती है.
फूलपुर-फूलपुर पवई
इलाहाबाद की फूलपुर सीट कई बार राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बनी है वजह है कि फूलपुर ना सिर्फ विधानसभा सीट है बल्कि संसदीय सीट भी है जहां से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की पारंपरिक सीट रही है. खैर अगर विधानसभा की बात की जाए तो फूलपुर सीट पर 2012 में समाजवादी पार्टी का कब्जा है, फूलपुर सीट पर इतिहास में आजतक बीजेपी नहीं जीती लेकिन इस बार पूरे आसार हैं.
वहीं आजमगढ़ की फूलपुर पवई सीट पर भी समाजवादी पार्टी का कब्जा है. दोनों सीटों फूलपुर और फूलपुर पवई के नाम एक जैसे हैं, नतीजे आने पर चौंकिएगा मत.
अकबरपुर- अकबरपुर रनिया
आंबेडकर नगर जिले में है अकबरपुर विधानसभा जबकि कानपुर देहात जिले में है अकबरपुर रनिया विधानसभा. दोनों ही सीटों पर 2012 में एसपी का कब्जा हुआ था. इस बार सतर्क रहिए नतीजे आने पर कहीं इधर का उधर ना हो जाए.
कटरा- कटरा बाजार-गोंडा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में है कटरा विधानसभा, जबकि अवध इलाके के गोंडा जिले में है कटरा बाजार विधानसभा. 2012 में कटरा बाजार सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी जबकि कटरा सीट पर एसपी ने परचम लहराया था. दोनों के नाम एक जैसे हैं, सतर्क रहिएगा नहीं गड़बड़ हो जाएगी.