इलाहाबाद: यूपी विधानसभा चुनाव में कई धर्मगुरुओं द्वारा अलग-अलग सियासी पार्टियों के समर्थन में वोटिंग की अपील किये जाने को द्वारिका व ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गलत बताया है.


धर्मगुरुओं की अपील से भ्रमित होते हैं आम मतदाता


शंकराचार्य का कहना है कि धर्मगुरुओं की ऐसी अपील से आम मतदाता भ्रमित होता है और वह मुद्दों और सही-गलत के फैसले पर वोट करने के बजाय भावनाओं के आधार पर मतदान करता है. उनके मुताबिक़ धर्मगुरुओं को सिर्फ समस्याओं के बारे में बोलकर लोगों को जागरूक तो करना चाहिए, लेकिन उन्हें सियासी पार्टी के पक्ष में वोट की अपील नहीं करनी चाहिए.


शंकराचार्य का कहना है कि ज़्यादातर धर्मगुरु अपने निजी स्वार्थ के चलते किसी पार्टी विशेष के लिए वोट की अपील करते हैं. ऐसा करने वाले धर्मगुरु आम लोगों के हित के बारे में नही सोचते और सियासी पार्टियां इनका इस्तेमाल कर अपना स्वार्थ सिद्ध करती हैं.


मुस्लिम धर्मगुरुओं पर समाज को बांटने का आरोप


इलाहाबाद में मीडिया से की गई बातचीत में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मुस्लिम धर्मगुरुओं पर समाज को बांटने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील से भले ही इस्लाम धर्म के वोटर एक न होते हों, लेकिन दुष्प्रचार के चलते इसकी प्रतिक्रिया में बहुसंख्यक समुदाय के वोटर ज़रूर कई बार एकजुट हो जाते हैं. इससे समाज में नफरत फैलती है और उसकी तरक्की रुक जाती है.


शंकराचार्य के मुताबिक धर्मगुरुओं को ऐसे मुद्दों पर वोट डालने की बात करनी चाहिए जो समाज में सभी धर्मों व तबकों के लिए बराबर से फायदेमंद हों. शंकराचार्य स्वरूपानंद ने यूपी समेत दूसरे राज्यों की जनता से किसी के बहकावे में आकर भावनाओं के आधार पर नहीं मुद्दों के आधार पर सबसे बेहतर उम्मीदवार व पार्टी को वोट देने की नसीहत दी है.