लखनऊ: टोटके के जाल में सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि राजनेता भी फंसे हुए हैं. चाहे वो बीजेपी हो, एसपी हो या फिर कांग्रेस, सभी राजनीतिक दल किसी ना किसी रुप में अंधविश्वास की मार झेल रहे हैं. टोटके के चक्कर में ही एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आगरा के बदले सुल्तानपुर से प्रचार शुरू किया. अंधविश्वास के मारे लखनऊ में बीजेपी ऑफिस की रंगाई पुताई नहीं होती है. इतना ही नहीं ऐसे ही टोटके के चक्कर में कांग्रेस दफ्तर में लगे पेड़ नहीं बढ़ने दिए जाते है.



'इस सीट से जो भी जीतता है, उसकी ही सरकार बनती'


पहले दौर का चुनाव पश्चिमी यूपी में है. अखिलेश यादव को पहले 19 जनवरी से आगरा से प्रचार शुरू करना था. लेकिन उनकी पहली रैली 24 तारीख को सुल्तानपुर में हुई. आप पूछेंगे अखिलेश ने ऐसा क्यों किया. इसके पीछे शगुन-अपशगुन का चक्कर है.


कहते है सुल्तानपुर की सदर सीट से जो भी जीतता है, उसी की सरकार बनती है. पिछली बार यानी साल 2012 में यहां समाजवादी पार्टी जीती तो अखिलेश मुख्यमंत्री बन गए. साल 2007 में सुल्तानपुर सदर सीट बीएसपी के पास थी तो फिर मायावती की सरकार बनी.


'जो भी सीएम नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती'


केवल इतना ही नहीं पांच साल की सरकार में यूपी के सीएम अखिलेश यादव कभी भी नोएडा नहीं गए. लखनऊ और दिल्ली में बैठ कर नोएडा की योजनाओं का उद्घाटन करते रहे. कहते हैं जो भी सीएम नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है. राजनाथ सिंह से लेकर मायावती और मुलायम सिंह इस टोटके के शिकार बन चुके है.



क्या मजाल ये पेड़ बिल्डिंग से ऊंचे हो जाएं ?


आपको बता दें कि लखनऊ में कांग्रेस ऑफिस में अशोक के कई पेड़ लगे हैं. क्या मजाल ये पेड़ बिल्डिंग से ऊंचे हो जाएं. पार्टी के लोगों में अंधविश्वास है कि ऐसा होने पर यूपी अध्यक्ष बदल जाता है. राज्य में ना तो कांग्रेस बढ़ती है ना ही पेड़ को बढ़ने दिया जाता है.


बीजेपी के ऑफिस पर भी टोटकों का राज


लखनऊ में बीजेपी के ऑफिस पर भी टोटकों का राज है. ऐसा कहा जाता है जो भी प्रदेश अध्यक्ष ऑफिस की रंगाई पुताई करवाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है. ऐसा कई नेताओं के साथ हो चुका है. पिछली बार लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने ऑफिस का रंग रोगन कराया था, और फिर पार्टी ने उन्हें चलता कर दिया. हालांकि इस पर सवाल पूछने पर सब अनजान जरुर बन जाते हैं.


गाड़ियों के आख़िरी तीन नंबर में 786


इतना ही नहीं यूपी में ऐसे कई सांसद और विधायक हैं. जो ख़ास नंबर की गाड़ियां रखते हैं. कांग्रेस सांसद की सभी गाड़ियां 7000 नंबर वाली होती है. बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की गाड़ियों के आख़िरी तीन नंबर में 786 होते हैं.